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भारत वाकई खत्म करा सकता है रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ा युद्ध?

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान दुनिया को बीच-बीच में भारत की ‘याद’ आ जाती है। ऐसे ‘संदेश’ उड़ते दिखाई देते हैं कि युद्ध रोकने के भारत के आग्रह को रूस मान सकता है। हाल ही में अमेरिका ने कहा है कि इस युद्ध को समाप्त करने में भारत कूटनीतिक तौर पर भूमिका निभा सकता है।

दस माह हो चुके हैं, रूस और यूक्रेन युद्ध जारी है। सुकून की बात है कि इस युद्ध के समर्थन व विरोध को लेकर दुनिया दो हिस्सों में बंट नहीं पाई है, वरना दोनों देशों का यह युद्ध विश्वयुद्ध में बदल जाता। इस मसले पर पॉवरफुल देश धैर्य बरत रहे हैं और युद्ध को रोकने के प्रयास में लगे हैं, लेकिन उनका यह रुख इस युद्ध को रोक नहीं पा रहा है। इस युद्ध को रोकने को लेकर जब-तब भारत का नाम आ जाता है। लेकिन युद्ध जारी है। इस युद्ध ने दुनिया को कई परेशानियों में डाल रखा है। कुछ देशों के आर्थिक हालात बिगड़ रहे हैं।

रूस और यूक्रेन का युद्ध पिछले वर्ष फरवरी माह में शुरू हुआ था। शुरुआती दौर में इसे युद्ध नहीं कहा गया, क्योंकि माना गया कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है और यह आक्रामण एकतरफा है और रूस जल्द ही यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा। लेकिन यूक्रेन की जीवटता ऐसी दिखी कि उसने पीछे हटने या समर्पण करने के बजाए लड़ना बेहतर समझा और रूस के खिलाफ लड़ाई को इतनी चतुराई से लड़ा कि रूस को भी भारी नुकसान उठाना पडा। शुरू के दौर को छोड़कर अब कभी भी यह नहीं लग रहा है कि यूक्रेन इस युद्ध में रूस के आगे हार मान लेगा। उसने अपने देश में घुसे रूसी सैनिकों को कई मौकों पर बुरी तरह हताहत किया है और उनके सैन्य साधनों को गंभीर नुकसान भी पहुंचाया है। इसके बावजूद रूस इस युद्ध को रोकने का नाम नहीं ले रहा है। हां,अब बस इतना हुआ है कि उसने 36 घंटों के लिए युद्ध-विराम की घोषणा तो की है, लेकिन लग नहीं रहा कि यह अल्प विराम पूर्ण युद्ध विराम में बदल जाएगा।

इस युद्ध के दौरान पूरी दुनिया को बीच-बीच में भारत की ‘याद’ आ जाती है। ऐसे ‘संदेश’ उड़ते दिखाई देते हैं कि भारत इस युद्ध को रोक सकता है या युद्ध रोकने के भारत के आग्रह को रूस मान सकता है। अभी हाल ही में अमेरिका ने कहा है कि रूस-यू्क्रेन के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत कूटनीतिक तौर पर भूमिका निभा सकता है। अमेरिका का मानना है कि इस युद्ध को रुकवाने के लिए कई देश भी प्रयासरत हैं। अमेरिका का कहना है कि रूस और यूक्रेन के साथ संबंध रखने वाले भारत जैसे देश बातचीत और कूटनीति में मदद करने की स्थिति में हो सकते हैं जो एक दिन इस युद्ध को समाप्त कर सकते हैं। अमेरिका का यह भी कहना है कि रूस को जवाबदेह ठहराने और उसके युद्ध के लिए रूस पर अतिरिक्त दबाव डालने के लिए हम क्या कर सकते हैं, इस बारे में हम भारत के साथ नियमित निकट संपर्क में हैं। अमेरिका का यह संदेश काफी महत्वपूर्ण है और माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने के लिए अमेरिका के विचार को दूसरे प्रभावी देश भी मान रहे हैं।

आखिर इस युद्ध में भारत का महत्व क्यों बढ़ रहा है और युद्ध को लेकर भारत के बयान महत्वपूर्ण क्यों माने जा रहे हैं। ऐसा क्यों लगने लगा है कि इस युद्ध को रुकवाने में भारत की पहल रंग ला सकती है। असल में इस युद्ध को लेकर भारत की बयानबाजी दूसरे देशों को चौंका रही है, उन्हें परेशान कर रही है और सोचने पर मजबूर भी कर रही है। पिछले वर्ष सितंबर माह में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है। तब भी पीएम के इस बयान की पूरे विश्व में खूब चर्चा हुई थी और इस बात पर भी हैरानी जताई गई थी कि पीएम मोदी के इस बयान को पुतिन ने शांति से सुना और प्रतिक्रिया स्वरूप आक्रामक उत्तर नहीं दिया। तब से यह माना गया कि इस युद्ध को रुकवाने में भारत गंभीर भूमिका निभा सकता है। इसके बावजूद युद्ध जारी है। असल में इस युद्ध को लेकर शुरू में भारत के रूख पर दुनिया ने कड़ा प्रतिवाद किया था, लेकिन भारत के अडिग रहने पर यह प्रतिवाद एक अलग की सोच में बदल गया।

जब यह युद्ध शुरू हुआ था तो विश्व के ज्यादातर प्रभावी देशों ने इस युद्ध का विरोध करते हुए रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिए थे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ गाहे-बगाहे प्रस्ताव पारित किए जा रहे थे, तब भारत के तटस्थ रहने पर मजबूत देशों ने आंखें तरेरी थी, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह रूस के साथ है, क्योंकि वह संकट के समय से हमारा साथी है। भारत ने कहा कि वह रूस से ईंधन-गैस भी लेता रहेगा और रूस को जो जरूरत होगी, उसकी आपूर्ति भी करेगा। भारत अपने रूख पर कायम रहा। ऐसा लग रहा था कि भारत के इस आक्रामक रूख के चलते अमेरिका, यूएन या अन्य संगठन उस पर ही प्रतिबंध न लगाना शुरू कर दें। लेकिन भारत के आक्रामक व सक्षम व्यवहार के चलते ऐसा नही हो पाया और अब अमेरिका जैसे देश ही मान रहे हैं कि इस युद्ध को भारत रुकवाने में प्रभावी रोल अदा कर सकता है।

यह युद्ध क्यों हुआ, रूस और यूक्रेन समेत पूरे विश्व को क्या नुकसान और क्षति झेलनी पड़ी, यह लगातार जानकारी आती रही है। अब चारों तरफ से यह आवाज उठने लगी है कि यह युद्ध बंद होना चाहिए, वरना दुनिया को आर्थिक व अन्य मोर्चे पर भरपाई न होने वाले नुकसान झेलने पड़े सकते हैं। ऐसे में भारत की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह शांति प्रयास के लिए प्रभावी कदम उठाए। असल में रूस के अलावा यूक्रेन भी भारत से मित्रवत व्यवहार रखता है और इसे जारी रखना चाहता है। उसका कारण यह है कि दुनिया में भारत एक नई शक्ति के रूप में उभर रहा है, इसलिए युद्धग्रस्त देशों के अलावा अन्य देश भी भारत से अपनापा रखना चाहते हैं। इसलिए लगातार उम्मीद जताई जा रही है कि जब यह युद्ध समाप्ति की ओर जाएगा तो भारत का इसमें प्रभावी रोल रहेगा। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि यह युद्ध जल्द से जल्द समाप्त हो जाए।

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