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ससुर के पिंडदान के लिए गंगा घाट पहुंचे मॉरीशस के प्रधानमंत्री

प्रविंद जुगनौथ जनवरी 2019 और अप्रैल 2022 में भी वाराणसी आए थे। जनवरी 2019 में उन्होंने 15वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में हिस्सा लिया था। कार्यक्रम के बाद उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए थे। इसके अलावा वह भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ भी गए थे।

भारतीय मूल के मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जुगनौथ ने नई दिल्ली में दो दिवसीय G20 के शिखर सम्मेलन होने के बाद उत्तरप्रदेश के वाराणसी की यात्रा की। यहां उन्होंने दशाश्वमेध घाट पर अपने ससुर की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान किया। इसके बाद उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर ससुर की अस्थियां विसर्जित कीं। उत्तरप्रदेश के वाराणसी का दशाश्वमेध घाट सबसे महत्वूपूर्ण घाटों में से एक है। यह गंगा नदी पर विश्वनाथ मंदिर के नजदीक है।

आपको बता दें कि भारत के निमंत्रण पर मॉरीशस के पीएम प्रविंद कुमार जुगनौथ G20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे थे। वह उन 25 राष्ट्राध्यक्षों में से एक थे जिन्होंने G20 समूह के सदस्य देशों और अतिथि देशों दोनों का प्रतिनिधित्व किया था। मालूम हो कि मॉरीशस के पीएम प्रविंद कुमार जुगनौथ के अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी नई दिल्ली स्थित धार्मिक स्थल अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया था।

आपको बता दें कि प्रविंद जुगनौथ जनवरी 2019 और अप्रैल 2022 में भी वाराणसी आए थे। जनवरी 2019 में उन्होंने 15वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में हिस्सा लिया था। कार्यक्रम के बाद उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए थे। इसके अलावा वह भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ भी गए थे।

मिली जानकारी के मुताबिक पीएम प्रविंद के पूर्वज उत्तरप्रदेश के बलिया के थे। खुद प्रविंद के पिता स्वर्गीय अनिरुद्ध जगन्नािा लगभग 18 साल तक मॉरीशस के प्रधानमंत्री रहे थे। प्रविंद 23 जनवरी 2017 से मॉरीशस के प्रधानमंत्री हैं।

मोदी-जुगनौथ के बीच हुई द्विपक्षीय मुलाकात

इस यात्रा के मौके पर पीएम जुगनौथ ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से भी द्विपक्षीय मुलाकात की थी। इसको लेकर पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा था कि पीएम @कुमार जुगनौथ और मेरे बीच बहुत अच्छी मुलाकात हुई। यह भारत-मॉरीशस संबंधों के लिए एक विशेष वर्ष है क्योंकि हम अपने देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं। हमने बुनियादी ढांचे, फिनटेक, संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।

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