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भारत की पहल, शहीद सैनिकों का सम्मान, UN में बनेगी स्मारक दीवार

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में 'मेमोरियल वॉल फॉर फॉलन यूनाइटेड नेशंस पीसकीपर्स' शीर्षक से मसौदा प्रस्ताव पेश किया था जिसे बुधवार सर्वसम्मति से अपनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल का समर्थन करने के लिए सभी देशों को धन्यवाद दिया।

यूएन द्वारा चलाए जाने वाले शांति कार्यक्रमों में शहीद हुए ‘peacekeepers’ सैनिकों के सम्मान में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया था, जिसे रिकॉर्ड देशों ने अपनाया है। अब शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक स्मारक दीवार स्थापित की जाएगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थन देने वाले सभी देशों का धन्यवाद दिया है। बता दें कि 21 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में शामिल होने के लिए अमेरिका आएंगे।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में 'मेमोरियल वॉल फॉर फॉलन यूनाइटेड नेशंस पीसकीपर्स' शीर्षक से मसौदा प्रस्ताव पेश किया था, जिसे बुधवार सर्वसम्मति से अपनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल का समर्थन करने के लिए सभी देशों को धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मुझे प्रसन्नता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में एक नई स्मारक दीवार बनाने का संकल्प लिया गया है। इस संकल्प के लिए रिकॉर्ड 190 सह-प्रयोजन प्राप्त हुए जिसके लिए मैं सभी के आभारी हूं।

बता दें कि तीन साल के भीतर इस दीवार को बनाकर तैयार किया जाएगा। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सभी सदस्य देशों को धन्यवाद दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में शहीद हुए शांति सैनिकों के लिए एक स्मारक दीवार स्थापित करने के लिए एक प्रस्ताव को अपनाने का संचालन किया। इस संकल्प को रिकॉर्ड 190 सह-प्रायोजन प्राप्त हुए जो भारत के योगदान और विश्वास का प्रमाण है।

मालूम हो कि भारत वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में वर्दीधारी कर्मियों का तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। भारत के 6,000 से अधिक सैन्य और पुलिसकर्मी अबेई, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, साइप्रस, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, लेबनान, मध्य पूर्व और पश्चिमी सहारा में तैनात हैं। अभी तक लगभग 177 भारतीय शांति सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है जो किसी भी सैन्य-योगदान देने वाले देश से अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।

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