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मानवाधिकारों पर US ने भारत को फिर दी नसीहत, बुलडोजर का भी जिक्र

‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिस’ नाम से जारी रिपोर्ट में भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कैंची, मनमानी गिरफ्तारी, न्यायेतर हत्याएं, उचित प्रक्रिया के बिना संपत्ति जब्त व नष्ट करने, अल्पसंख्यक समूहों से भेदभाव और स्वतंत्रता के उल्लंघन जैसे आरोप लगाए गए हैं।

सांकेतिक चित्र Photo by Dmitriy Zub / Unsplash

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने दुनिया के देशों में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर खास रिपोर्ट जारी की है। विदेश विभाग की इस सालाना रिपोर्ट में मानवाधिकार के मामलों को लेकर भारत की आलोचना की गई है। भारत में कुछ राज्यों में चलाए जा रहे कथित बुलडोजर अभियान का भी जिक्र किया गया है।

अमेरिकी मंत्री ने बाइडेन और मोदी के बीच मजबूत रिश्तों का भी जिक्र किया है। (सांकेतिक चित्र @twitter)

‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिस’ नाम से जारी 2022 की रिपोर्ट में भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कैंची, मनमानी गिरफ्तारी, न्यायेतर हत्याएं, उचित प्रक्रिया के बिना संपत्ति जब्त व नष्ट करने, अल्पसंख्यक समूहों से भेदभाव और स्वतंत्रता के उल्लंघन जैसे आरोप लगाए गए हैं।

रिपोर्ट जारी होने के बाद लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम से जुड़े मामलों की कार्यवाहक सहायक मंत्री एरिन बार्कले ने पत्रकारों से कहा, अमेरिका और भारत नियमित रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मुद्दों पर उच्च स्तरीय विचार-विमर्श करते रहे हैं। हम दोनों देशों में नागरिक संगठनों के संपर्क में रहते हैं ताकि उनके दृष्टिकोण से वाकिफ हो सकें और उनके अनुभवों से सीख सकें। हम भारत सरकार को भी उनसे परामर्श करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

दरअसल अमेरिका का विदेश विभाग अलग-अलग स्तरों पर सभी देशों के रिकॉर्ड्स का निरीक्षण करके हर साल ये रिपोर्ट तैयार करता है। साल 2022 की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत में आरोपों की प्रकृति में बदलाव आया है।

रिपोर्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि सरकार की आलोचना करने वाले मुस्लिम समुदाय लोगों के घरों पर बुलडोज़र चलाए जा रहे हैं। 2022 में कई हिस्सों में 'अतिक्रमण विरोधी अभियान' चलाकर लोगों के घर बुलडोज़र से तोड़ दिए गए, जिनमें अधिकतर मुसलमान थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को हिरासत में लेने के लिए कई बार गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का भी इस्तेमाल किया। कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज, उमर खालिद और भीमा कोरेगांव में प्रदर्शन से संबंधित साजिश के आरोपों में कैद 16 लोगों में से अधिकांश को जमानत नहीं मिलने का भी रिपोर्ट में जिक्र है।

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