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'गुरबानी' से सूना हुआ अफगानिस्तान, आखिरी दो स्वरूप भी दिल्ली पहुंचे

मंजीत सिंह ने बताया कि पहले भी इन्हें लाने की कोशिश की गई थी लेकिन तब तालिबान ने तकनीकी पहलुओं का हवाला देकर इन्हें रोक दिया था। भारत सरकार के दखल और दोनों सरकारों के बीच बातचीत के बाद दोनों स्वरूपों को वापस भारत लाने में कामयाबी मिली है।

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने से बाद से सिख धर्म और विरासत के प्रतीकों को वापस भारत लाने का सिलसिला चल रहा है। इस कड़ी में काबुल से श्रीगुरु ग्रंथ साहिब जी के आखिरी दो पवित्र स्वरूप भी दिल्ली आ गए हैं। इन स्वरूपों को गुरुद्वारे में रखा जाएगा।

जागो-जग आसरा गुरु ओट और डीएसजीपीसी (दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी) के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके और परमजीत सिंह सरना ने गुरु मर्यादा के अनुसार दिल्ली हवाई अड्डे पर दोनों स्वरूप प्राप्त किए। इस मौके पर जीके ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद बने हालात को देखते हुए सभी धार्मिक विरासतों को वापस लाया जा रहा है। गुरु ग्रंथ साहिब के यह आखिरी दो स्वरूप वहीं रह गए थे जिन्हें अब लाया गया है।

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