महामारी के रूप में उभरा कोरोना एक बार फिर से दुनिया की परीक्षा लेने आ गया है। उम्मीद जताई जा रही थी कि इस महामारी के खिलाफ पूरे विश्व में दी गई डोज और लगातार बरती जा रहीं सावधानियां इस महामारी का प्रकोप बढ़ने नहीं देगी। लेकिन चीन में हालात लगातार गंभीर बनते जा रहे हैं, कुछ अन्य देशों में घबराहट शुरू हो गई तो भारत में चिंता और बेचैनी बढ़ने लगी है। कोरोना महामारी से पैदा हुआ डर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दुनिया समझ नहीं पा रही है कि इस कोरोना का वायरस आखिर कब कमजोर पड़ेगा और सब कुछ कब तक सामान्य हो जाएगा।
वर्ष 2019 के अंत में जब चीन में कोरोना फैला और अचानक की उसका प्रकोप तेजी से बढ़ा और यह कहा जाने लगा कि यह संक्रामक महामारी दुनिया में बैठे किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है, तो घबराहट बढ़ने लगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से लेकर विश्व के स्वास्थ्य से जुड़े संगठनों और विभिन्न देशों ने उस वक्त चीन की बहुत ही लानत-मलामत की, लेकिन जब कोरोना अधिकतर देशों को अपनी चपेट में लेने लगा तो विभिन्न देशों की सरकारें अपने लोगों को बचाने के लिए सक्रिय और परेशान हो गईं। इस दौरान कोरोना ने अपना असली रूप दिखाया और लाखों लोगों को हताहत कर गया। दुनिया में आई कोरोना की तीन लहरों ने कई देशों का अहंकार तोड़ दिया तो करीब-करीब पूरी दुनिया का आर्थिक ढांचा ही बिखेर दिया। इस महामारी ने विकसित देशों को सबसे ज्यादा चिंता में डाला, क्योंकि स्वास्थ्य का आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद वे अपने देश के लोगों को इस कोरोना के प्रकोप से नहीं बचा पाए।
इस साल के चढ़ते-चढ़ते कोरोना का प्रकोप घटा लेकिन कम नहीं हुआ। इस दौरान विश्व की अर्थव्यवस्था जब धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी तो एक बार फिर से इस महामारी ने सिर उठाना शुरू कर दिया। चीन से तो भयावह खबरें आ ही रही हैं, अमेरिका, जापान, साउथ कोरिया में कोरोना के केस बढ़ने लगे तो विश्व के दूसरी बड़ी आबादी वाली देश भारत में भी चिंता शुरू हो गईं। पहले चीन की बात करें। वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि देश में आने वाले कुछ महीनों में कोविड-19 से 80 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते है। एक रिपोर्ट कहती है कि चीन में आने वाले कुछ महीनों में मरने वालों की संख्या 5 लाख हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इमरजेंसी चीफ माइकल रायन इस बात से खफा हैं कि चीन अपने यहां के कोरोना पीड़ितों को तथ्यपरक व सही जानकारी देने से परहेज कर रहा है, जिस कारण दुनिया को इस महामारी की नई धार को समझने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि चीन के अस्पताल कोरोना मरीजों के दबाव से चरमरा रहे हैं और वहां की स्वास्थ्य सेवाएं ही ‘बीमार’ हो गई हैं। समस्या यह है कि जब अस्पताल कोरोना मरीजों से भरने लगे तो हेल्थकेयर वर्कर भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इसके चलते मरीजों की संख्या में तो इजाफा हो ही रहा है, उन्हें समुचित स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। दूसरे, सर्दी के दौरान इस प्रकार के वायरस तेजी से सक्रिय होते हैं, जिससे मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विश्व के सभी देश इस महामारी से एक बार फिर से बचने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी कर रहे हैं, कुछ लड़ भी रहे हैं लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कोरोना का प्रकोप अब सामान्य बीमारियों की तरह ही रहेगा और लोग बीमार होने के बाद ठीक हो जाएंगे, मौतें अधिक नहीं होंगी और अर्थव्यवस्था को धक्का नहीं लगेगा? लेकिन इसकी तस्वीर आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पाएगी।
भारत की बात करें तो देश की सरकार कह रही है कि इस बार कोरोना का प्रकोप पहले जैसा नहीं रहेगा। करोड़ों लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है, बड़ी संख्या में लोग तीसरी ‘बूस्टर डोज’ भी ले चुके हैं। इसके अलावा भारत की करीब 90 प्रतिशत जनसंख्या को संक्रमण हो चुका है। इससे बड़ी आबादी को हाइब्रिड इम्यूनिटी मिल चुकी है, इसलिए घबराने जैसी कोई बात नहीं है। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर भी सर्तकता और कोरोना की जांच शुरू कर दी है और बूस्टर डोज लगाने के लिए लोगों से अपील करना भी शुरू कर दी है। अच्छी बात यह है कि भारत में नाक से दी जाने वाली डोज भी तैयार है। इसके बावजूद भारत मान रहा है कि कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है इसलिए देश को अलर्ट पर रखा जा रहा है। वैसे भारत सहित पूरा विश्व मान रहा है कि अब भारत में पहले जैसी दुर्दशा नहीं होने वाली। टीकाकरण भारत का प्लस प्वाइंट है, साथ ही लोग भी जागरूक हो गए हैं। तीसरी बात यह कि इस दौरान भारत ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं और खासकर इस बीमारी में काम आने वाले ऑक्सीजन, किट के अलावा डोज भी एडवांस में रख ली है। लेकिन डर और घबराहट भारत समेत पूरी दुनिया पर सवार हो रहा है।
सवाल यह है कि आखिर पूरी दुनिया कोरोना के आतंक से कब मुक्त होगी या अभी यह कई साल तक अग्निपरीक्षा लेता रहेगा। दुनिया को यह समझ में आ चुका है कि इस रोग से बचने के लिए उसे एकजुट होना होगा, वरना किसी भी देश को यह अपनी चपेट में लेता रहेगा और संक्रमण दूसरे-तीसरे देश तक पहुंचता रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन अभियान को युद्ध स्तर पर चलाया जाए और जिन गरीब या पिछड़े देशों में वैक्सीन की कमी है उसे वैश्विक मदद से कमी को खत्म किया जाए। नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए और स्वास्थ्य सेवाओं को चाक-चौबंद किया जाए। पूरी दुनिया इस महामारी से लड़ने के लिए इतने अधिक ‘हथियार’ बना और उसका प्रयोग करना शुरू कर दे कि ‘दुश्मन’ की तरह ये इस महामारी का वेरिएंट लगातार कमजोर होता जाए। याद रखें कि किसी भी देश को पराया समझकर उसकी मदद न की गई तो यह कोरोना सालों तक पूरी दुनिया को परेशान करेगा। संभव है कि कुछ देशों को तबाह भी कर दे।