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G20: सहमति, सहअस्तित्व और नई दिल्ली घोषणा

भारत ने G20 और दुनिया को दिखा दिया कि टीमवर्क से क्या हासिल किया जा सकता है और यह जता दिया कि जो कुछ हुआ है उसके बारे में लगातार व्यर्थ का विलाप करना भविष्य के लिए किसी भी दृष्टि से उपयोगी नहीं है।

सहमति और उपलब्धि के साथ संपन्न हुआ G20 शिखर सम्मेलन। Image: twitter@G20 India

बीते कुछ समय से वैश्विक पटल पर छाये भारत के लिए इससे अच्छा और कुछ नहीं हो सकता था। विघ्नसंतोषियों के प्रलाप से परे वास्तव में एक वैश्विक सहमति हासिल की गई और वह भी विराट आयोजन के पहले ही दिन। उल्लेखनीय और विशेष महत्व की बात यह है कि 55 सदस्यीय अफ्रीकी संघ अब 21वें सदस्य के रूप में औपचारिक रूप से इस कुनबे में जगह लेगा और इस प्रक्रिया में अफ्रीकी महाद्वीप के जटिल मसले अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंचेंगे। बेशक, यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम के लिए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि विश्व नेता अतीत की सामान्य बयानबाजी और अतिशयोक्ति पर लौटने के बजाय उनके सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों पर आगे बढ़ने की इच्छा को प्रतिबिंबित करने वाली एक आम भाषा पर सहमत हुए।

भारत के प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में साफ कर दिया था कि 'वैश्विक विश्वास की कमी' के इस दौर में केवल एकीकृत दृष्टिकोण ही दुनिया के सामने आने वाले कई संकटों से निपट सकता है और इस पर ध्यान देने की दरकार है। मोदी तब भी सही थी जब उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद दुनिया में विश्वास की भारी कमी आ गई है और संघर्ष ने इसे और गहरा कर दिया है। उन्होंने रूस और यूक्रेन का नाम भले ही नहीं लिया लेकिन उनकी बात में यह साफ था। यकीनन इस टकराव से उपजी तमाम चुनौतियां देखी-समझी जा सकती हैं और उस पर भारत का रुख और उसकी चिंता भी स्पष्ट दृष्टिगत है। नई दिल्ली घोषणा इस शिखर सम्मेलन में शामिल सदस्यों के लिए ही नहीं, सबके लिए एक संदेश है।

आतंकवाद के हर स्वरूप की निंदा और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने से लेकर घोषणापत्र में जीनोफोबिया, नस्लवाद और असहिष्णुता को नकारा गया। वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन पर एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई मंच और ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर की स्थापना सहित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के विस्तार पर समहति कायम हुई। घोषणापत्र में जिन कई समझौतों की बात की गई है उनमें बहुपक्षीय विकास बैंकों का सुधार, क्रिप्टोकरंसी के लिए एक रूपरेखा, सतत विकास के वास्ते एक जीवन शैली और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर सहयोग शामिल है। इस सब के अंत में भारत ने G20 और दुनिया को दिखा दिया कि टीमवर्क से क्या हासिल किया जा सकता है और यह जता दिया कि जो कुछ हुआ है उसके बारे में लगातार व्यर्थ का विलाप करना भविष्य के लिए किसी भी दृष्टि से उपयोगी नहीं है।

उदाहरण के लिए यूक्रेन में इस बात को लेकर निराशा है कि नई दिल्ली की बैठक में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की निंदा नहीं की गई। इसलिए इसी तरह के अन्य संदर्भों में यह कहना कि G20 में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिसका गुणगान किया जाए गलत है। निसंदेह इस तरह के विराट आयोजन के लिए आयोजक और पूरी टीम बधाई की पात्र है। साधुवाद इसलिए भी कि असंतोष के एक भी स्वर के बगैर सहमति घोषणा बन सकी। यह एक बड़ी उपलब्धि है। नई दिल्ली में हासिल की गई इन उपलब्धियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब ब्राजील पर है।

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