Skip to content

जापान का रक्षा खर्च पर कठिन लेकिन निर्णायक फैसला

कई मायनों में टोक्यो का यह कठिन निर्णय जरूरी भी लगता है। पूर्वी एशिया में बदलते और चुनौतीपूर्ण रणनीतिक माहौल के अलावा चीन के उत्तेजक उपाय, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और मास्को-बीजिंग की विशेष दोस्ती प्रमुख कारण दिखाई देते हें।

काफी समय से जापान में नीति निर्माता रक्षा खर्च को दोगुना करने या न करने के निर्णय पर बंटे हुए हैं। दरअसल जापान में रक्षा खर्च को बढ़ाने का फैसला एक ऐसा कदम है जो न केवल एक आर्थिक आयाम है बल्कि संवैधानिक भी है। लेकिन ऐसा लगता है कि टोक्यो में रूढ़िवादी सरकार ने रक्षा पर लगभग 2 प्रतिशत अतिरिक्त खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया है।

इस प्रक्रिया में सरकार ने यह भी स्पष्ट संकेत दिया है कि राष्ट्रहित के लिए देश के तटों को सुरक्षित करना होगा। सेल्फ डिफेंस फोर्स (एसडीएफ) को भी नया रूप देना होगा जो कि लंबे समय से 1950 के दौरान अमेरिका द्वारा थोपे गए संविधान में विशेष महत्व रखता है। हालांकि प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के लिए सुरक्षा और रक्षा खर्च के मामलों को आगे बढ़ाना आसान नहीं है क्योंकि यह फैसला तथाकथित जीत या राजनीतिक हार के बीच एक बहुत ही महीन रेखा के रूप में देखा जाता है।

This post is for paying subscribers only

Subscribe

Already have an account? Log in

Latest