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अमेरिका के चर्च में जैन आचार्य डॉ. लोकेशजी को किया गया सम्मानित

लोकेशजी ने सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं है, यह संपूर्ण प्राचीन भारतीय संस्कृति का सम्मान है। यह भगवान महावीर और उनके द्वारा दिए गए विचारों को श्रद्धांजलि है। यह भारत के वसुदेव कुटुम्बम संदेश की भावना का सम्मान है।

अमेरिका के शिकागो राज्य में स्थित बेथेल मेनोनाइट कम्युनिटी चर्च में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में विश्व शांति दूत और प्रख्यात जैन आचार्य डॉ. लोकेशजी को 'ग्लोबल इंटरफेथ यूनिटी पुरस्कार 2023' से सम्मानित किया गया है। लोकेशजी को यह सम्मान उनके वैश्विक सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों के उत्थान व विश्व शांति एवं सद्भाव के लिए उनके योगदान के लिए दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार आचार्य लोकेशजी को यह पुरस्कार अमेरिका के वरिष्ठ कांग्रेसी डैनी के. डेविस, कुक काउंटी के कमिश्नर डेनिस डीयर, एएमईसी के गवर्नर डॉ. जेनोबिया सोवेल और एएमईसी के कार्यकारी निदेशक नवीन कर्ण द्वारा दिया गया था।

 यह भारत के वसुदेव कुटुम्बम संदेश की भावना का सम्मान है। : आचार्य लोकेशजी

इस अवसर पर लोकेशजी ने सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं है, यह संपूर्ण प्राचीन भारतीय संस्कृति का सम्मान है। यह भगवान महावीर और उनके द्वारा दिए गए विचारों को श्रद्धांजलि है। यह भारत के वसुदेव कुटुम्बम संदेश की भावना का सम्मान है।

लोकेशजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुलतावादी संस्कृति है। अनेकता में एकता इसकी मूलभूत विशेषता है। इसका मूल मंत्र सर्वधर्म समभाव है। विश्व शांति एवं सद्भाव के लिए आवश्यक है कि सभी धर्म, वर्ग और संप्रदाय एक साथ मिलजुल कर काम करें। समाज के विकास में धर्म आड़े नहीं आना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि धर्मगुरु अपने अनुयायियों को बताएं कि धर्म ने हमें हमेशा मिलजुल कर रहने की सीख दी है, सभी धर्म विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सभी धर्म और संप्रदाय मानवता की शिक्षा देते हैं, धर्म विकास का विरोधी नहीं है।

लोकेशजी ने आगे कहा कि जब विकास अध्यात्म की नींव पर आधारित हो तो वह वरदान बन जाता है। धर्म के क्षेत्र में हिंसा और घृणा का कोई स्थान नहीं हो सकता। बातचीत के माध्यम से मिल बैठकर हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि हम अपने अस्तित्व की तरह दूसरों के अस्तित्व और विचारों का भी सम्मान करना सीखें। मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसे मनभेद में न बदलें।

वहीं कांग्रेसी डैनी के डेविस ने कहा कि आचार्य लोकेश ने विश्व शांति, सद्भाव की स्थापना और अंतर-धार्मिक संवाद के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। वह विश्व जनमानस के लिए आशा की किरण हैं जो विश्व में आतंकवाद, हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं। डेविड ने कहा कि आचार्य लोकेशजी मानवता के मसीहा हैं जो किसी भी देश की सीमाओं से परे मानवीय कार्यों के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

बता दें कि इस अवसर पर बेथेल मेनोनाइट कम्युनिटी चर्च के पादरी रेवरेंड टोनी बियांसी, बोर्ड अध्यक्ष डॉ. जेनोबिया सोवेल और पुरस्कार जूरी अध्यक्ष डॉ. विजय जी प्रभाकर भी मौजूद थे।

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