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यह समय भारत का है!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा और भारत में आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन इस बात का प्रमुख संकेत है कि भारत भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक क्षेत्र में कितना महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है।

पीएम मोदी के साथ मुकेश अघी।

मुकेश अघी

भारत 15 अगस्त को एक और साल सीनियर हो जाएगा। 2022 में हमने भारत की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष जोर-शोर से मनाया था। भारतीय स्वतंत्रता का 76वें वर्ष और भी महत्वपूर्ण होने जा रहा है क्योंकि भारत जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं की मेजबानी करने को तैयार है। वैश्विक चुनौतियों के दौर में यह समय तेज आर्थिक वृद्धि के साथ भारत को लेकर आशावान होने का है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक अमेरिका यात्रा और भारत में आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन इस बात का प्रमुख संकेत है कि भारत भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक क्षेत्र में कितना महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है। अमृत काल के बीच India@100 की नींव का खाका रखा जा रहा है।

भारत इस वक्त लगभग 7% की आर्थिक विकास के साथ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसकी कहानी भी है। भारत ने 1947 में जब अपनी यात्रा आरंभ की थी, वह एक युगांतरकारी वर्ष था। अब भारत स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत ने पहली बार 1991 में आर्थिक सुधारों की महत्वपूर्ण शुरुआत की थी। उस आर्थिक जीवन रेखा को हासिल किए तीन दशक से थोड़ा अधिक समय हो गया है। इसी के बाद भारत ने उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण के क्षेत्र में कदम रखे थे।

वर्ष 1991 में भारत भुगतान संतुलन के संकट से गुजर रहा था। सोने के भंडार को बचाए रखना चुनौती थी। आज 2023 में भारत विदेशी मुद्रा की कमी से विदेशी मुद्रा अधिशेष की स्थिति में है। वर्तमान में भारत के पास चीन, जापान जैसे एशियाई दिग्गजों और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। यह तब है, जब भारत के लगभग साथ ही स्वतंत्रता हासिल करने वाले दक्षिण एशियाई पड़ोसी विदेशी मुद्रा संकट से गुजर रहे हैं।

भारत को पारंपरिक रूप से नकदी-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता था। अब यह डिजिटल भुगतान की सर्वव्यापकता और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से डिजिटल क्रांति कर चुका है। इसने नई तकनीकी को अपनाते हुए मजबूत डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाई है, डिजिटल व्यापार को बढ़ाया है। यूपीआई के माध्यम से भारत में ई-कॉमर्स और मोबाइल भुगतान में क्रांति आई है। वह इसका इस्तेमाल फ्रांस और सिंगापुर जैसे देशों के साथ डिजिटल वाणिज्यिक साझेदारी को मजबूत बनाने में भी कर रहा है।

वर्तमान में डिजिटल लेनदेन के वैश्विक बाजार में भारत की 48 अरब लेनदेन के साथ 41 प्रतिशत हिस्सेदारी है। चीन से वह 18 बिलियन लेनदेन आगे है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह ई-कॉमर्स में कितना ताकतवर बन चुका है।

प्रधानमंत्री मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा ने अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाया, रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाया, विनिर्माण और महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है। यह यात्रा अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी की 21वींसदी की सबसे निर्णायक साझेदारी कही जा सकती है। विनिर्माण अर्थव्यवस्था की भारत के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारत की अर्थव्यवस्था पहले कृषि आधारित थी, जो अब सेवा आधारित अर्थव्यवस्था बन चुकी है। इसमें विनिर्माण घटक को छोड़ दिया गया जबकि चीन शुरू में इस क्षेत्र पर हावी था। अब फोकस फिर से शुरू हो गया है क्योंकि भारत की विनिर्माण अर्थव्यवस्था को अपनी अर्धचालक डिजाइन और विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण की उम्मीद में प्रोत्साहन मिलता है।

मेक इन इंडिया और उत्पादन से जुड़ी (पीएलआई योजनाओं) जैसी पहल से सरकार को ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली। डेटा के साथ उच्च तकनीकी विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अब वह सेमीकंडक्टर में तकनीकी महारत हासिल करने में जुटा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को फिर से परिभाषित कर रहा है और विश्व स्तरीय सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकोसिस्टम बनाने का प्रयास कर रहा है।

कोरोना महामारी ने आपूर्ति श्रृंखला संकट को काफी बढ़ा दिया था। उससे आगे बढ़कर महामारी से बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्निर्माण और बहाली पर ध्यान केंद्रित किया गया है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि कंपनियां और सीईओ अब चीन प्लस वन रणनीति अपना रहे हैं। भारत अपने बड़े श्रम प्रतिभा पूल के साथ उच्चस्तरीय कंपोनेंट बाजार पर कब्जा करने की स्थिति में है। आने वाले समय में भारत का अत्याधुनिक उत्पादों के उत्पादन और विनिर्माण क्षमता में योगदान महत्वपूर्ण होगा क्योंकि कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना चाहती हैं।

कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवा संकट के समय दुनिया ने भारत के फार्मास्युटिकल कौशल, बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान और उभरते बाजारों में किफायती टीकों की डिलीवरी के साथ दृढ़ संकल्प को भी देखा है। परंपरागत रूप से भारत बुनियादी ढांचे के मामले में एशियाई प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ा रहा है। लेकिन अब पीएम गति शक्ति मास्टरप्लान के माध्यम से बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। रेलवे और रोडवेज को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा रहा है। बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं को एकीकृत योजना के तहत लाया गया है। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी इस बात का प्रमाण है कि देश निर्बाध कनेक्टिविटी और माल की आसान आवाजाही में कितना आगे निकल चुका है। व्यापार और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। यात्रा में लगने वाला समय कम किया जा रहा है।

कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए यह सब महत्वपूर्ण हैं। नौ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी के कार्यभार संभालने के समय ये उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में था। 2014 में भारत दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और 2022 में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। केवल अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से ही वह पीछे है। अनुमान है कि 2025-2027 के बीच भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और $ 5 ट्रिलियन का सकल घरेलू उत्पाद लक्ष्य हासिल करेगा। यह सब फिनटेक, एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा संक्रमण, वाहनों के विद्युतीकरण के साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था में नए क्षेत्रों के मजबूती के माध्यम से संभव होगा।

हमेशा स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ही मायने रखती है और भारत जैसी संघीय प्रणाली में पिछले एक दशक में हम मजबूत राज्य प्रतिस्पर्धा देख रहे हैं। विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधिमंडल पश्चिमी निवेशकों को आने और मेक इन इंडिया के लिए आकर्षित कर रहे हैं।

चीन की तरह भारत ने भी महज तीन दशकों में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा कर के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी स्थान बनाया है। क्रय शक्ति समानता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है जिससे लाइसेंस राज युग बहुत पीछे छूट गया है। आर्थिक विकास के साथ-साथ 35 वर्ष से कम आयु के लोगों की आबादी भविष्य को लेकर उम्मीद जगाती है। यही चीज है जो भारत को चीन और जापान जैसे बुजुर्ग आबादी वाले देशों से अलग करती है।

भारत एक पुराना सभ्यतागत देश है। भारत की युवा आबादी और वैश्विक मंच पर मजबूत आर्थिक दृष्टि और ब्लू-चिप अर्थव्यवस्था निवेशकों को लुभा रही है। भारत की कहानी युगों पुरानी है जो एक गौरवशाली ऐतिहासिक अतीत और भविष्य की उन्नत अर्थव्यवस्था से समृद्ध है। 2023 का साल 2047 में India@100 के लिए दिशा तय करने वाला साबित हो रहा है।

मुकेश अघी: यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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