डॉ. रामेश्वर दयाल
इस ‘वाहन’ को ध्यान से देखिए। कभी ये देश की राजधानी दिल्ली की शान हुआ करता था। एक वाहन आज भी पीतमपुरा में एक मार्केट के बाहर खड़ा है। इसके मालिक एक सरदार जी हैं और वे इलाके में रसूख वाले हैं। इस वाहन के बारे में उनसे पूछो तो वह कुछ नहीं बताते और घर का दरवाजा बंद कर लेते हैं। लेकिन उनके पड़ोसी बताते हैं कि कभी ये इस वाहन को चलाकर घर का गुजारा चलाते थे। कभी-कभी इस वाहन के दिन फिर जाते हैं। जब किसी फिल्म की शूटिंग दिल्ली में होती है और दिल्ली का पुराना दौर दिखाना होता है तो झाड़-पोंछकर इस वाहन को रवाना कर दिया जाता है।

एनफिल्ड मोटर साइकिल को मोडिफाई कर बना फटफटिया
अब सब कुछ बदल गया है। तो हम बताते हैं इस विशेष वाहन के बारे में। यह तीन पहिए वाला वाहन फोर सीटर (फटफटिया) कहलाता है। कभी यह सवारी वाहन हुआ करता था। पूरा इतिहास समेटे हुए हैं यह फोर सीटर। वो इसलिए कि जब देश का बंटवारा हुआ था तो सैंकड़ों सिख पाकिस्तान से भारत आए थे। आने वाले अनेकों सिख परिवारों ने दिल्ली में भी ठिकाना बनाया। तब कुछ युवा सिखों ने परिवार का गुजर-बसर करने के लिए अंग्रेजों की एनफिल्ड मोटर साइकल में बदलाव कर उसे फोर सीटर में बदल दिया था। अस्सी के दशक तक यह वाहन दिल्ली की सड़कों पर अपनी शान बिखेरता रहा। बाद में प्रदूषण के चलते सरकार ने इसे बंद कर दिया।

सीटें छह लेकिन नाम फोर सीटर
आज किसी दिल्ली वाले से पूछो कि वह फटफटिया को जानता है। तो वह मेट्रो या अन्य वाहन के बारे में बताने लगेगा और फिर पूछेगा कि भई ये फटफटिया क्या बला है। असल में पुरानी दिल्ली की शान यह फटफटिया पुरानी दिल्ली से कनॉट प्लेस और बाद में सीलमपुर तक सवारी ढोता था। यह एक तरह का तिपहिया था, जिसकी बस छत होती थी और यह चारों तरफ से खुला रहता था। शुरुआती दौर में इसमें बैठने के लिए चार सीटें होती थी, तभी इसका नाम फोर सीटर पड़ा, लेकिन बाद में यह छह सीटों का हो गया। डीजल से चलने वाले इस फटफटिया को रस्सी से घुमाकर स्टार्ट करना पड़ता था।