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इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कांशसनेस की वैश्विक नेताओं से अपील

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कांशसनेस के ग्लोबल डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशन अनुत्तमा दास ने इस मौके पर कहा कि विश्व धर्म संसद एक अद्भुत आयोजन है। यह सभी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं, आध्यात्मिकता, विभिन्न देशों, विभिन्न परंपराओं के लोगों को एक साथ आने का मौका देता है।

शिकागो के मैककॉर्मिक प्लेस लेकसाइड सेंटर में 212 विश्व धर्माें और 95 देशों के प्रतिनिधित्व के साथ विश्व धर्म संसद की सबसे बड़ी सभा का आयोजन किया गया। 14 से 18 अगस्त के बीच हुए इस सम्मेलन में कई धार्मिक नेताओं ने दुनिया का प्रभावित करने वाले कई सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की। इस सम्मेलन की थीम 'विवेक के लिए एक आह्वान: स्वतंत्रता और मानव अधिकारों की रक्षा' थी।

इस्कॉन शिकागो के निदेशकों में से एक सुबाला दासा के साथ इस्कॉन के वैश्विक संचार निदेशक अनुत्तमा दासा

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कांशसनेस के ग्लोबल डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशन अनुत्तमा दास ने इस अवसर पर कहा कि विश्व धर्म संसद एक अद्भुत आयोजन है। यह सभी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं, आध्यात्मिकता, विभिन्न देशों, विभिन्न परंपराओं के लोगों को एक साथ आने का मौका देता है। यहां बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा की गई है, चाहे वह मानव तस्करी, परमाणु हथियारों का प्रसार या फिर महिलाओं का शोषण हो। ये सभी सामाजिक मुद्दे ऐसे हैं जो हम सभी को प्रभावित करते हैं। भले ही चाहे हम हिंदू हों, यहूदी हों या मुस्लिम या ईसाई।

दास ने कहा कि मैं सभी को इस विश्व संसद की भावना का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करूंगा कि वे अपने दिलों और अपनी जीवनशैली पर गौर करें और देखें कि हम अपने जीवन में हिंसा को कैसे कम कर सकते हैं, हम समुदायों के बीच तनाव और गलतफहमी को कैसे कम कर सकते हैं। हम वास्तव में दूसरों को लाभ पहुंचाने और ग्रह को लाभ पहुंचाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास, व्यक्तिगत बलिदान कैसे कर सकते हैं।

सिख समुदाय ने सभी उपस्थित लोगों को विशेष लंगर की दावत दी। 

बता दें कि विश्व धर्म संसद में कई सत्र आयोजित किए गए थे जिनमें मानवाधिकारों की रक्षा, जलवायु परिवर्तन, महिलाओं के अधिकारों समेत कई अन्य सामाजिक मुद्दों पर पैनल चर्चा रखी गई थीं।  इस्कॉन शिकागो के निदेशकों में से एक सुबाला दास ने विश्व धर्म संसद के योगदान के बारे में बात की और कहा कि यह सामाजिक बुराईयों के लिए एक आध्यात्मिक विकल्प प्रदान कर रहा है। न केवल अमेरिका में बल्कि पूरे विश्व में सामाजिक बुराईयों ने संघर्ष को बढ़ाया है। यह सभी बुराईयां बीमारियां ही हैं और इन सभी बीमारियों का समाधान आध्यात्मिक ज्ञान से ही किया जा सकता है।

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कांशसनेस के योगदान के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान परलौकिक ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान और साधना के साथ-साथ ध्यान सिखाता है। मंत्रोच्चारण की मदद से हम मानसिक चिंताओं और मानसिक बीमारी से जुड़ी बहुत सी बीमारियां दूर करते हैं।

इस सम्मेलन की ऐतिहासिक जड़ें शिकागो से जुड़ी हुई हैं। साल 1893 में इस सम्मेलन की शुरुआत शिकागो से ही हुई थी और फिर 1993 में यह फिर से आयोजित किया गया था। संसद का उद्देश्य एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए दुनिया के धार्मिक और आध्यात्मिक समुदायों को एक साथ लाना है। यह सम्मेलन सबसे समावेशी अंतरधार्मिक संवाद के लिए एक अनूठा मंच बनाता है और विश्व समस्याओं के समाधान के लिए परंपराओं के ज्ञान और समृद्धि को आकर्षित करता है।

सिख समुदाय ने सभी उपस्थित लोगों को विशेष लंगर की दावत दी। कार्यक्रम युद्ध के शरणार्थियों और यूक्रेन के लोगों के लिए विशेष प्रार्थना के साथ समाप्त हुआ।

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