एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि भारतीय सहित अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक आर्थिक प्रभाव लाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सहित अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में सबसे बड़े समूहों में से एक हैं और यूके की अर्थव्यवस्था के लिए शुद्ध सकारात्मक आर्थिक प्रभाव लाते हैं।

लंदन में हाल में ब्रिटेन के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जारी किया गया यह विश्लेषण ऐसे समय पर आया है जब ब्रिटेन सरकार के आव्रजन आंकड़ों में कटौती के प्रयासों के तहत अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा पर कार्रवाई की आशंका बढ़ रही है। यह विश्लेषण 2020-21 के आंकड़ों पर केंद्रित है। इसकी रिपोर्ट में गैर-यूरोपीय संघ (EU) के प्रति छात्र GBP 96,000 का अर्थव्यवस्था को लाभ होने का दावा किया गया है। जाहिर तौर पर गैर यूरोपीय संघ वाले छात्र समूह में भारत के छात्र भी शामिल हैं।
इस विश्लेषण की जिम्मेदारी लंदन इकोनॉमिक्स के पार्टनर डॉ. गवन कॉनलन को दी गई थी। डॉ. गवन ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय छात्र देश की अर्थव्यवस्था से जितना लेते हैं, उससे लगभग 10 गुना अधिक देते हैं। यह बढ़त स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर आर्थिक समृद्धि का सबब है। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय छात्र विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान करने का अवसर भी प्रदान करते हैं जो अन्यथा संभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि यूके के सबसे महत्वपूर्ण निर्यात उद्योगों में से एक के रूप में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने में विश्वविद्यालयों की सफलता की सराहना की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा नीति संस्थान (HEPI), यूनिवर्सिटी यूके इंटरनेशनल (UUKi) और कापलान इंटरनेशनल पाथवेज ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आश्रितों के लिए संभावित वीजा प्रतिबंधों और उनके अध्ययन के बाद के कार्य वीजा अधिकारों में संभावित कटौती से संबंधित चल रही राजनीतिक बहस के बीच विश्लेषण करने के लिए संगठन को नियुक्त किया था। यूके मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन आश्रितों को लाने वाले विदेशी छात्रों पर शिकंजा कसना चाह रही हैं क्योंकि इसे बढ़ते प्रवासन के आंकड़ों के रूप में देखा जा रहा है।
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