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ग्रेडिंग का दावा- ब्रिटेन में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि

ग्रैडिंग का कहना है कि लोगों ने ब्रिटेन को इसलिए चुना क्योंकि यहां अन्य विकसित देशों की तुलना में में पढ़ाई में लागत कम है । यही कारण है कि ब्रिटेन में भारतीय छात्रों को प्रायोजित अध्ययन वीजा जारी करने में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो 2022 के आंकड़ों की तुलना में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

Photo by Priscilla Du Preez 🇨🇦 / Unsplash

ब्रिटेन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। ब्रिटेन के गृह कार्यालय की तरफ से बताया गया है कि भारतीय छात्रों को प्रायोजित अध्ययन वीजा जारी करने में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो 2022 के आंकड़ों की तुलना में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। ग्रेडिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों के पास अब 2019 की तुलना में लगभग सात गुना अध्ययन वीजा हैं। ग्रेडिंग अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के लिए भारत का प्रमुख मंच है।

रिपोर्ट के मुताबिक कुल मिलाकर यूके ने लगभग 500,000 प्रायोजित अध्ययन वीजा जारी किए। इनमें से लगभग एक तिहाई भारतीयों को दिए जाते हैं। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि अगले शैक्षणिक सत्र में ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले विदेशी छात्रों की संख्या तीन लाख से अधिक होने का अनुमान है।

कुल 142,848 प्रायोजित अध्ययन वीजा भारतीयों को दिए गए जो जून 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष की तुलना में 49,883 या 54 प्रतिशत अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2020 से जून 2021 तक 98,394 ग्रेजुएट रूट एक्सटेंशन दिए गए। इनमें से 42 प्रतिशत भारतीय छात्रों को दिए गए थे।

इसके अतिरिक्त 2022 में जिन छात्रों के वीजा की अवधि समाप्त हो गई थी, उनमें से 20 प्रतिशत ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक्सटेंशन का विकल्प चुना। इस प्रकार, 2023 में भी ऐसा ही हो रहा है और अगले शैक्षणिक वर्ष तक बढ़ने की उम्मीद है।

ग्रैडिंग की संस्थापक ममता शेखावत का कहना है कि लोगों ने ब्रिटेन को इसलिए चुना क्योंकि यहां अन्य विकसित देशों में पढ़ाई की तुलना में लागत कम है । ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए एक स्वीकार्य मूल्य है और औसत लागत संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य देशों की तुलना में कम है। ममता का कहना है कि यूके के स्नातक दुनिया में सबसे अधिक रोजगार योग्य हैं। वास्तव में दस में से 8 अंतरराष्ट्रीय छात्र प्रगति कर रहे हैं, पदोन्नत हो रहे हैं और ब्रिटेन में अपनी शिक्षा के कारण अधिक कमा रहे हैं।

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