अमेरिका में प्रशासन ने महीनों से बंधक बनाकर रखे गये एक 20 वर्षीय भारतीय छात्र को बचाया है। कैद के दौरान उसे बुरी तरह से पीटा जाता था और बाथरूम तक नहीं जाने दिया जाता था। हैरान करने वाली बात यह है कि छात्र को इस तरह की अमानवीय यातना देने में उसका अपना चचेरा भाई दो अन्य लोगों के साथ शामिल बताया जा रहा है।
इस मामले में प्रशासन ने पीड़ित के नाम का खुलासा नहीं किया है अलबत्ता बताया कि भारतीय छात्र अमेरिकी राज्य मिसौरी में तीन घरों में महीनों फंसा रहा। बुधवार को पुलिस सेंट चार्ल्स काउंटी में एक ग्रामीण राजमार्ग पर एक घर में पहुंची और वेंकटेश आर सत्तारु, श्रवण वर्मा पेनुमेत्चा और निखिल वर्मा पेनमात्सा को गिरफ्तार कर लिया।
अगले दिन उन तीनों पर मानव तस्करी, अपहरण और हमले सहित कई अपराधों का आरोप लगाया। पुलिस को इस घटनाक्रम के बारे में किसी जागरूक नागरिक ने सूचित किया था। इसके बाद विभाग की ओर से पुलिस की एक टीम काउंटी स्थित घर पर भेजी गई थी।
अभियोजक जो मैककुलोच ने बताया कि पीड़ित छात्र सुरक्षित है और उसका इलाज चल रहा है। छात्र को कई फ्रैक्चर हैं और रेस्क्यू के वक्त उसके पूरे शरीर पर घाव और चोटों के निशान थे। आरोपों के अनुसार सात महीने तक तीनों लोगों ने छात्र को एक तहखाने में बंद कर रखा था। उसे बाथरूम जाने से रोका और जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया।
पता चला है कि प्रताड़ना के दिनों में छात्र ने पास के रेस्तरां के कूड़ेदानों में कूड़ा-कचरा ढूंढ़ा। उसे बिजली के तार, पीवीसी पाइप, धातु की छड़ों, लकड़ी के बोर्ड और लाठियों से पीटा गया। मैककुलोच ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह बिल्कुल अमानवीय और अचेतन है कि एक इंसान दूसरे इंसान के साथ इस तरह का व्यवहार कर सकता है।
जांचकर्ताओं ने सत्तारू को इस प्रताड़ना कांड का सरगना माना है। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ ओ'फालोन में रहता है। इस मामले में मुख्य संदिग्ध सत्तारू (35) पर गुलामी कराने के उद्देश्य से मानव तस्करी और दस्तावेजों के दुरुपयोग के माध्यम से मानव तस्करी में योगदान देने का अतिरिक्त आरोप लगाया गया है। पेनुमेत्चा और पेनमात्सा उस घर में रहते हैं जहां पर छात्र को सताया जा रहा था।
अधिकारियों ने बताया कि छात्र पिछले साल रोला में मिसौरी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पढ़ाई की उम्मीद के साथ भारत से अमेरिका आया था मगर यहां उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।