दिल्ली यूनिवर्सिटी और गुजरात यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली भारतीय मूल की प्रोफेसर डॉ. जोयिता गुप्ता को जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उनके काम के लिए नीदरलैंड में एक समारोह में स्पिनोजा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जोइता को 'न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया' (just and sustainable world) पर केंद्रित उनके वैज्ञानिक शोध के लिए डच विज्ञान में सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया है। सामान्य तौर पर इसे डच नोबेल प्राइज कहा जाता है। इससे पहले जोइता के कई शोध कार्यों को भी सराहना मिल चुकी है।
Congratulations to Dr Joyeeta Gupta for receiving the prestigious Spinoza Prize by Dutch Research Council (NWO), the highest distinction in Dutch science for her outstanding & pioneering work on a just & sustainable world @IndiaDST @DiasporaDiv_MEA @moefcc @PMOIndia @RHDijkgraaf pic.twitter.com/Zy8nDRJXQr
— IndiainNetherlands (@IndinNederlands) October 4, 2023
द हेग स्थित एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय (UVA) में पर्यावरण और विकास की प्रोफेसर जोयिता को नीदरलैंड के शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति मंत्री रॉबर्ट डिजग्राफ ने बुधवार को इस पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार 1.5 मिलियन यूरो का है। डॉ. जोयिता गुप्ता ने इस राशि को वैज्ञानिक अनुसंधान और ज्ञान से संबंधित गतिविधियों पर खर्च करने का इरादा जताया है।
पुरस्कार समारोह के बाद नीदरलैंड में भारतीय दूतावास ने डॉ. जोयिता गुप्ता को डच रिसर्च काउंसिल (NWO) द्वारा प्रतिष्ठित स्पिनोजा पुरस्कार प्राप्त करने के लिए बधाई दी। दूतावास ने कहा कि एक न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया पर जोयिता के उत्कृष्ट और अग्रणी काम के लिए डच विज्ञान में यह सर्वोच्च सम्मान है।
De fantastische Dr. Joyeeta Gupta! https://t.co/bRXp4XMiY8
— Ralien Bekkers (@RalienBekkers) June 10, 2023
जोइता गुप्ता 2013 से एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय के ग्लोबल साउथ में पर्यावरण और विकास की प्रोफेसर हैं। प्रोफेसर गुप्ता के रिसर्च के मूल में जलवायु संकट, वैश्विक जल चुनौतियां, संभावित समाधान और न्याय के बीच संबंधों को आसानी से जानने का प्रयास किया गया है। NWO के मुताबिक जोयिता ने इस पर शोध किया है कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न वितरण संबंधी मुद्दों को सुशासन के माध्यम से कैसे हल किया जा सकता है। उनका तर्क है कि जलवायु परिवर्तन के परिणामों का अमीर और गरीब के बीच संबंधों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
उनके शोध के केंद्र में जलवायु संकट, संभावित समाधान और न्याय के बीच संबंध को समझना है। ऐसा करने के लिए, वह अंतरराष्ट्रीय कानून और अर्थशास्त्र से लेकर राजनीति विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन तक विभिन्न वैज्ञानिक विषयों को एक साथ लाती है। इस सम्मान को हासिल करने के बाद प्रोफेसर जोयिता ने कहा कि मैं जो करने की कोशिश करना चाहती हूं वह अंततः एक वैश्विक संविधान की दिशा में काम करना है।
प्रोफेसर डॉ. जोयिता गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय के साथ ही हार्वर्ड लॉ स्कूल में पढ़ाई की है। जोइता गुप्ता ने व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम से पीएचडी की उपाधि ली है। वह आईएचई डेल्फ्ट इंस्टीट्यूट फॉर वॉटर एजुकेशन में प्रोफेसर भी रह चुकी हैं।