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लॉकडाउन में कर्ज लेकर कर डाला फ्रॉड, UK में भारतीय कारोबारी को जेल

इंग्लैंड के स्टैनवेल स्थित वेविलेन लिमिटेड कंपनी में निदेशक कुलविंदर सिंह सिद्धू ने 2020 में ब्याज मुक्त ऋण लिया। लेकिन 50,000 पाउंड का ऋण लेने के तुरंत बाद कंपनी को भंग कर दिया और लोन की रकम अपने व्यक्तिगत बैंक खाते में ट्रांसफर कर ली।

सांकेतिक तस्वीर ( Photo by Harry Shelton / Unsplash

ब्रिटेन में भारतीय मूल के एक बिजनेसमैन को सरकारी कर्ज के दुरुपयोग के आरोप में 12 महीने जेल की सजा सुनाई गई है। 58 साल के कुलविंदर सिंह सिद्धू को कोरोना लॉकडाउन के दौरान व्यापार में घाटे से उबरने के लिए वित्तीय सहायता ली थी लेकिन रकम मिलने के बाद उसने धोखाधड़ी कर डाली। अब अदालत ने उसे गुनाहों की सजा सुनाई है।

कुलविंदर सिंह सिद्धू ने साल 2020 में वित्तीय सहायता योजना के तहत बाउंस बैंक लोन लिया था। वह 2010 से दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में स्टैनवेल स्थित एक ढुलाई कंपनी वेविलेन लिमिटेड में निदेशक था। जांच से पता चला कि 50,000 पाउंड का ऋण लेने के तुरंत बाद उसने कंपनी को भंग कर दिया और लोन की रकम को अपने व्यक्तिगत बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिया।

यूके सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान बाउंस बैक लोन योजना चलाई थी। इसके तहत महामारी से प्रभावित बिजनेस के लिए 50,000 पाउंड तक का ब्याज-मुक्त करदाता-समर्थित ऋण लिया जा सकता था। सिद्धू ने 9 जून 2020 को लोन के लिए आवेदन किया। इस पर धनराशि उसके खाते में भेज दी गई। 26 जून 2020 को सिद्धू ने कंपनी भंग करने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू कर दी। अक्तूबर 2020 में कंपनी को भंग कर दिया गया।

सिद्धू पर कर्ज की रकम के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया। यूके की गिल्डफोर्ड क्राउन कोर्ट ने उसे यूके कंपनी अधिनियम और धोखाधड़ी अधिनियम के तहत दोषी माना है। अदालत ने सिद्धू को 12 महीने की जेल की सजा सुनाते हुए 50,000 पाउंड की वसूली का आदेश भी दिया है। इसके अलावा सिद्धू को छह साल के लिए कंपनी का निदेशक बनने के अयोग्य ठहराया गया है।

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