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सिडनी में प्रवासियों ने मनाई नवरात्रि, मां दुर्गा के सभी रूपों को पूजा गया

सिडनी में इस बार कई कम्युनिटी सेंटर में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया और हर जगह मां दुर्गा की अलग अलग  झांकी देखने को मिली जैसी कि भारत में हर पंडाल की झांकी दूसरे से अलग होती है। इस बार सिडनी में भी कुछ ऐसा ही नजारा था।

माँ दुर्गा की प्रतिमा The Ponds Community Hub में। All Photos by Saraswati singh

सिडनी में हर्षोल्लास के साथ दुर्गा पूजा  उत्सव मनाया  गया। इस वर्ष दुर्गा पूजा का शुभ त्योहार 20 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक बहुत धूमधाम से मनाया गया। पांच  दिनों तक चले इस त्योहार में भारतीय  कम्युनिटी के लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

सिडनी में इस बार कई कम्युनिटी सेंटर में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया और हर जगह मां दुर्गा की अलग अलग  झांकी देखने को मिली जैसी कि भारत में हर पंडाल की झांकी दूसरे से अलग होती है। इस बार सिडनी में भी कुछ ऐसा ही नजारा था। वैसे तो तो सभी भारतीयों के लिए दुर्गा  पूजा खास है  लेकिन दुनिया भर में  सभी बंगाली इस त्योहार को बड़े ही विशेष तरीके से मनाते हैं। सिडनी के the Ponds Community  Hub में बंगाली कम्युनिटी dorpon cultural  and religious एसोसिएशन  द्वारा sharodiya durgotsav  (शारदीय दुर्गोत्सव ) का आयोजन किया गया। इस मौके भारी संख्या में लोगो की भीड़ मां दुर्गा का दर्शन करने पहुंची।

पुष्पांजलि के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़।

कार्यक्रम में पारम्परिक लालपाड़ साड़ी में बंगाली औरतो में  माता की पूजा में रमी हुई दिखाई दीं। हवन और लोहवान की खुशबू ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया था। वही ढाक की आवाज़ ले साथ ऐसा लग रहा था की जैसे  भक्तो ने दुर्गा माई  का आह्वान किया हो। सभी जगहों पर पूजा पूरे विधि विधान माता की प्राण प्रतिष्ठान के साथ हवन भोग के साथ संपन्न की गई। हर उम्र के लोगो ने दुर्गा मां को पुष्पांजलि दी. मंत्रोचारण के बीच ऐसा  लग ही नहीं रहा  था कि आप अपनी मातृभूमि  से इतना दूर हैं।

पारम्परिक लाल पाड साड़ी में बंगाली कम्युनिटी की महिलाएं।

बंगाली समुदाय डोरपोन सांस्कृतिक और धार्मिक संघ के शारदीय दुर्गोत्सव के आयोजकों में से एक असीम चौधरी ने बताया कि "यह तीसरा वर्ष है, जब हम सिडनी में ऐसा कर रहे हैं। हम बंगाली समुदाय से हैं। मुझे यह देखकर अच्छा लगा कि बहुत से लोग यहां एक साथ आए हैं और हम इसे एक साथ मना रहे हैं। मैं सभी से एक साथ आने और त्योहारी सीजन का आनंद लेने का आग्रह करता हूं। मैं लोगों का उत्साह देख सकता हूं कि यह यहां किया जा रहा है। देश में बहुत उत्सव है और बहुत सारे लोग आते हैं जिनकी हम तुलना नहीं कर सकते लेकिन हम यहां सिडनी में अच्छी संख्या में लोगों को देख सकते हैं। हम अनुमान लगा रहे हैं कि 1000 से अधिक लोग हमारे साथ जुड़ेंगे। हम सभी अनुष्ठान कर रहे हैं जो हम पुष्पांजलि और सिंदूरखेला जैसी करते थे, हम हमेशा की तरह उनका पालन कर रहे हैं।"

पारम्परिक परिधान में दुर्गा माँ की पूजा में आई भक्त।

यह दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है जिसमे अंतिम पांच दिनों को दुर्गोत्सव नाम से  संदर्भित किया जाता  है, जिसे षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। उत्सव का पहला दिन, षष्ठी, शुक्रवार, 20 अक्टूबर को पड़ा मंदिरों और कम्युनिटी हाल  में, देवी दुर्गा का स्वागत से  उत्सव शुरू किया गया। नवरात्रि  पूजा अनुष्ठान व्यापक और जटिल हैं। नौ दिनों तक वैदिक मंत्रों के साथ श्लोक और आरती गाई जाती हैं और देवी महात्म्य ग्रंथ के कई संस्कृत पाठ भी पूजा में शामिल किए जाते हैं। सिडनी में भी लोगो ने घरो  में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तसती का पाठ किया और अष्टमी व नौवमी के दिन कन्याओ को पूजा।

भक्तो ने नाना प्रकार के भोग प्रसाद दुर्गा माई को अर्पण किया।

डोरपोन सांस्कृतिक और धार्मिक एसोसिएशन के सदस्य कोमल रॉय ने कहा कि"सभी दीदी (बहन) भौदी (भाभी) और बच्चे सक्रिय रूप से पूजा में भाग ले रहे हैं, जो नई पीढ़ी को सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का हमारा मुख्य उद्देश्य है। सभी बच्चे और परिवार पिछले दो सप्ताह से पूजा के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं और रंगोली जैसी सभी सजावट उनके द्वारा की गई। इसी तरह हर कोई इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ न कुछ योगदान दे रहा है। और हम अपने बच्चों को अपनी संस्कृति का सारा ज्ञान दे रहे हैं ताकि जब वे बड़े हों तो वे भी इसका अनुसरण करें।"

उत्सव में महिलाओ का समूह।

विजयादशमी या सिन्दूर उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, जो मंगलवार, 24 अक्टूबर को मनाया  गया। दुर्गा पूजा का आखिरी दिन, जो दशहरा पर पड़ता है, विभिन्न रीति-रिवाजों द्वारा चिह्नित किया जाता है। इस दिन औरतों ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया जो हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय है। माना जाता है यह विवाह में सौभाग्य लाता है।

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