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अमेरिका में वीजा पर मुहर के लिए लंबा इंतजार, इन परिवारों की मुसीबतें बढ़ीं

एच-1बी वर्क परमिट वीजा पर काम करने वाले बहुत से प्रोफेशनल्स के जीवनसाथी इस देरी की वजह से मुसीबत में हैं। कहा गया है कि लॉकडाउन खुलने के बाद इन दफ्तरों में कम कर्मचारियों से काम चलाया गया। इसकी वजह से भारी संख्या में एच-4 और ए-4 EAD वीजा एक्सटेंशन के आवेदन लंबित हो गए।

अमेरिका में रहने वाले बहुत से भारतीय कई श्रेणियों में वीजा संबंधी काम करवाने के लिए जूझ रहे हैं। आवेदनों पर कार्यवाही होने में इतना लंबा समय लग रहा है कि इसकी वजह से उनकी नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। कोरोना महामारी की वजह से 2020 से अमेरिका के सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) विभाग में शुरू हुई देरी की समस्या अब तक दूर नहीं हो सकी है। एच-1बी वर्क परमिट वीजा पर काम करने वाले बहुत से प्रोफेशनल्स के जीवनसाथी इस देरी की वजह से मुसीबत में हैं। एच-4 वीजा स्टेटस वाले कुछ ऐसे जीवनसाथी जो अपने पति या पत्नी पर निर्भर हैं, उन्हें अमेरिका में रहकर अपना करियर बनाने की इजाजत तो दे दी गई है, लेकिन उन्हें एंप्लॉयमेंट ऑथराइजेशन डॉक्युमेंट (EAD) अप्रूव कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

कोरोना महामारी से पहले के नियम के मुताबिक अपने रोजगार संबंधी दस्तावेज अप्रूव करा चुके एच-4 वीजा धारकों को वीजा बढ़वाने या EAD एक्सटेंशन के लिए खुद हाजिर होना पड़ता था। इस काम को करने वाले एप्लिकेशन सर्विस सेंटर 2020 में कोरोना लॉकडाउन के कारण मार्च से जुलाई तक बंद रहे थे। वॉशिंगटन डीसी में रहकर इमिग्रेशन लॉ से जुड़े मामले देखने वाले वकील प्रशांत दुबे बताते हैं कि लॉकडाउन खुलने के बाद इन दफ्तरों में कम कर्मचारियों से काम चलाया गया। इसकी वजह से भारी संख्या में एच-4 और ए-4 EAD वीजा एक्सटेंशन के आवेदन लंबित हो गए।

इस समस्या के अस्थायी समाधान के तौर पर होमलैंड सिक्योरिटी ने योग्य अप्रवासियों के रोजगार संबंधी दस्तावेजों की मान्यता की अवधि 360 दिनों तक बढ़ा दी, जो आमतौर पर 180 दिन के लिए वैध होते हैं। इससे कुछ भारतीय एच-4 वीजा धारकों को राहत मिली। हालांकि ये राहत सिर्फ ऐसे वीजा धारकों के लिए थी, जिनका EAD खत्म होने में समय बाकी था। पहली बार  EAD के लिए अप्लाई करने वाले, स्टेटस बदलवाने वाले या फिर एच-4 या एच-4 EAD वीजा का एक्सटेंशन करवाने वालों के आवेदन लंबित होते चले गए। कई-कई मामलों में तो ये देरी 6-6 महीने तक की हुई।

दुबे कहते हैं कि इसकी वजह से बहुत से लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस और पेड मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं भी नहीं मिलीं। यहां तक कि ड्राइविंग लाइसेंस भी खतरे में पड़ गया। ऐसे परिवारों की आमदनी घटकर आधी रह गई। दुबे बताते हैं कि इस समस्या के समाधान के तौर पर कई लोगों ने EAD में देरी को अदालत में चुनौती दी। पिछले दो साल में खुद उनकी कंपनी 500 से ज्यादा केस दायर कर चुकी है। हालांकि USCIS के खिलाफ केस दायर करना भी आसान नहीं है। इसके लिए नोटिस मिलने के कम से कम चार महीने इंतजार करना जरूरी होता है।

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