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भारतीय दूतावास ने मनाया सारागढ़ी दिवस, सिख सैनिकों को दी श्रद्धांजलि

12 सिंतबर 1897 के दिन उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत पर हजारों पठानों के खिलाफ 21 सिख सैनिक बहादुरी से लड़े थे। यह इलाका उस वक्त ब्रिटिश भारत का हिस्सा था। यह युद्ध UNESCO द्वारा प्रकाशित सामूहिक बहादुरी की 8 कहानियों में से एक है।

सारागढ़ी में 21 सिख सैनिकों के संघर्ष की महान गाथा की 126वीं वर्षगांठ के अवसर पर 12 सितंबर को सारागढ़ी फाउंडेशन और न्यूयॉर्क स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास ने एक कार्यक्रम आयोजित किया। सारागढ़ी क्षेत्र पूर्व में अफगानिस्तानी इलाका और अब वर्तमान में पाकिस्तान में समाना रेंज पर स्थित कोहाट के सीमावर्ती जिले का एक गांव है।

न्यूयॉर्क स्थित भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करके बताया कि 12 सितंबर यानी सारागढ़ी दिवस के मौके पर सारागढ़ी के महाकाव्य युद्ध में 36वीं सिख रेजिमेंट के बहादुर सैनिकों की बेजोड़ वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित की।

सारागढ़ी की लड़ाई की 126वीं वर्षगांठ के मौके पर सारागढ़ी फाउंडेशन के सरदार गुरिंदरपाल सिंह जोसन का भी आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में सरदार ईशर सिंह, सरदार साहिब सिंह के परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सिख भाई-बहन भी उपस्थित हुए थे। भारतीय दूतावास के इस कार्यक्रम में सारागढ़ी के युद्ध पर एक शॉर्ट वीडियो की स्क्रीनिंग भी की गई थी।

आपको बता दें कि 12 सिंतबर 1897 के दिन उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत पर हजारों पठानों के खिलाफ 21 सिख सैनिक बहादुरी से लड़े थे। यह इलाका उस वक्त ब्रिटिश भारत का हिस्सा था। यह युद्ध UNESCO द्वारा प्रकाशित सामूहिक बहादुरी की 8 कहानियों में से एक है।

इतिहास में जानकारी मिलती है कि 36 सिख रेजीमेंट के 21 सैनिकों की एक टुकड़ी ने समाना रिज के ऊपर एक छोटे से किले पर कब्जा करते हुए 10,000 पठान आदिवासियों के खिलाफ अपना आखिरी मोर्चा बनाया था। कुछ सैन्य इतिहासकारों का यह भी दावा है कि 22वां आदमी एक गैर-लड़ाकू भी लड़ाई में मारा गया था।

इतनी बड़ी संख्या के बावजूद सैनिकों ने किले पर दुश्मनों के कब्जे को रोक दिया था। पठानों ने किले के आसपास झाड़ियों में आग लगा दी थी जिसके बाद वे धुएं की आड़ में दीवार तोड़ने में कामयाब रहे थे। इसके बाद भीषण हाथापाई हुई थी।

जब ब्रिटिश संसद ने इस लड़ाई के बारे में सुना था तो वे सारागढ़ी के रक्षकों का अभिनंदन करने के लिए एकजुट हो गए। इन लोगों की वीरता की कहानी महारानी विक्टोरिया के सामने भी रखी गई थी। इस विवरण को दुनिया भर में विस्मय और प्रशंसा के साथ स्वीकार किया गया था।

सभी 21 सैनिकों को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था जो उस समय भारतीय सैनिकों के लिए लागू सर्वोच्च वीरता पुरस्कार था और विक्टोरिया क्रॉस के बराबर माना जाता था। सिख रेजिमेंट को बैटल ऑनर साराघरी 1897 का सम्मान प्राप्त है और भारत में हर साल सारागढ़ी दिवस मनाया जाता है।

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