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UK: गोरे अंग्रेजों से ज्यादा भारतीय हैं घरों के मालिक, पढ़ाई-नौकरी में भी अव्वल

ब्रिटेन में साल 2021 में हुई जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि 71 प्रतिशत भारतीयों के पास अपने घर हैं जबकि श्वेत अंग्रेजों का आंकड़ा 68 प्रतिशत ही हैं। इंग्लैंड और वेल्स में सबसे ज्यादा घरों के मालिक भारतीय ही हैं। जातीय समूहों में पेशेवर भारतीयों की आबादी लगभग 34 प्रतिशत है।

सांकेतिक चित्र... Photo by Chris Boland / Unsplash

ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी समूहों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में भारतीय अव्वल हैं। सिर्फ पढ़ाई-लिखाई ही नहीं बल्कि कामकाजी पेशेवरों के मामले में भी भारतीय बाकियों से कहीं आगे हैं। ब्रिटेन में साल 2021 में हुई जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि इंग्लैंड और वेल्स में सबसे ज्यादा घरों के मालिक भारतीय ही हैं।

ब्रिटेन पर भारतीय प्रवासियों का रंग दिनोंदिन गहरा हो रहा है। (सांकेतिक चित्र Bruno Martins / Unsplash)

जनगणना से पता चला है कि चीनी समुदाय के साथ-साथ भारतीयों के पास शिक्षा का उच्चतम स्तर और पेशेवरों के बीच उच्चतम अनुपात है। ब्रिटेन में चीनियों की 56 प्रतिशत आबादी उच्चतम स्तर की शिक्षा से लैस है जबकि 52 प्रतिशत भारतीय उच्चतम स्तर की शिक्षा योग्यता रखते हैं। जहां तक घर के मालिकाना हक का सवाल है तो सर्वे कहता है कि 71 प्रतिशत भारतीयों के पास घर हैं जबकि 68 प्रतिशत श्वेत अंग्रेजों के पास घर हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इंग्लैंड और वेल्स में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और आवास के मामले में जातीय समूहों के बीच बड़ी असमानताएं हैं। पेशेवर व्यवसाय की दृष्टि से भारतीय और चीनी जातीय समूहों की आबादी 34 प्रतिशत बैठती है। इस आबादी में डॉक्टर, शिक्षक और वकील शामिल हैं। इसके बाद 33 प्रतिशत श्वेत आयरिश, 30 प्रतिशत अरब, 20 प्रतिशत पाकिस्तानी, 17 प्रतिशत बांग्लादेशी और 19 प्रतिशत श्वेत ब्रिटिश हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'अन्य श्वेत' जातीयता के लोगों में रोजगार का आंकड़ा सबसे अधिक 63 प्रतिशत है। इसके बाद श्वेत ब्रिटिश और आयरिश 62 प्रतिशत थे जबकि 61 प्रतिशत भारतीय। इसके अलावा 10 प्रतिशत भारतीयों की तुलना में 11 प्रतिशत श्वेत ब्रिटिश लोगों के पास अपना रोजगार था।

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं यह कहने की अधिक संभावना रखती हैं कि वे घर या परिवार की देखभाल कर रही हैं। यह अंतर बांग्लादेशी और पाकिस्तानी समूह के लोगों में सबसे अधिक रहा।

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