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सफलता हासिल करने के लिए भारतीय अमेरिकियों की यात्रा आसान नहीं रही

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान प्रवासी भारतीयों की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत की 'ताकत' बताया। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं थी। शुरुआती आप्रवासियों को नस्लीय भेदभाव के डंक सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फिर भी वे चट्टान की तरह डटे रहे। मुकाबला करते रहे।

Photo by Johan Mouchet / Unsplash

इंद्रनील बसु रे

निरंतर विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की हालिया राजकीय यात्रा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच मजबूत संबंधों को दिखाती है। भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही इस यात्रा ने न केवल दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया है, बल्कि अमेरिकी समाज में भारतीय प्रवासियों के पर्याप्त योगदान को भी उजागर किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान प्रवासी भारतीयों की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत की 'ताकत' बताया। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था एवं समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक की यह स्वीकृति भारतीय अमेरिकियों की उल्लेखनीय सफलता का प्रमाण है।

भारतीय अमेरिकियों की यात्रा एक ऐसी गाथा है जो एक सदी पहले शुरू हुई थी। यह सपनों, आकांक्षाओं और बेहतर जीवन की खोज की कहानी है। भारतीय प्रवासियों की पहली लहर 19 वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में अमेरिकी तटों पर पहुंची, मुख्य रूप से कैलिफोर्निया के उपजाऊ खेतों में खेती श्रमिकों के रूप में। इन अग्रदूतों ने अमेरिकी सपने के वादे के लिए अपनी मातृभूमि को पीछे छोड़ते हुए हजारों मील की यात्रा शुरू की।

हालांकि, यह यात्रा आसान नहीं थी। शुरुआती आप्रवासियों को नस्लीय भेदभाव के डंक सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फिर भी वे दृढ़ रहे, उनका लचीलापन उन खेतों में गूंज रहा था जहां वे खेती करते थे और जिन समुदायों का उन्होंने निर्माण किया था।

वर्ष 1965 के आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम ने भारतीय आव्रजन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ को साबित किया। इस अधिनियम ने राष्ट्रीय मूल कोटा को समाप्त कर दिया। इसने भारतीय आप्रवासियों की एक नई लहर के लिए मार्ग प्रशस्त किया। मुख्य रूप से डॉक्टरों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों सहित उच्च कुशल पेशेवरों ने अमेरिका का रुख किया। भारत से प्रतिभा की इस आमद ने अमेरिकी तकनीकी और चिकित्सा परिदृश्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। सिलिकॉन वैली के स्टार्टअप से लेकर प्रमुख चिकित्सा संस्थानों तक, भारतीय प्रवासियों ने अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी। उनके योगदान ने उनकी महत्वाकांक्षा को प्रतिबिंबित किया।

भारतीय अमेरिकी जिनकी संख्या अब अनुमानित 4.4 मिलियन है। भारतीय देश में दूसरे सबसे बड़े एशियाई अमेरिकी समूह के रूप में उभरे हैं। अधिकांश भारतीय अमेरिकी हिंदू (72%) हैं। इसके बाद मुस्लिम और ईसाई आबादी है। लेकिन यह सिर्फ उनकी संख्या नहीं है जो ध्यान आकर्षित करती है। यह शिक्षा, आय और पेशेवर क्षेत्रों में उनके द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति है जो वास्तव में उन्हें अन्यों से अलग करती है।

शिक्षा भारतीय अमेरिकी समुदाय की आधारशिला है। जिसमें प्रभावशाली स्नातक की डिग्री या इससे ऊपर की डिग्री रखने वाले 73% हैं। यह आंकड़ा 33% के राष्ट्रीय औसत के विपरीत है, जो अकादमिक उत्कृष्टता पर भारतीय समुदाय के गहरे लगाव को दिखाता है। ज्ञान की यह खोज उनके पेशेवर जीवन में फैली हुई है। चार भारतीय अमेरिकियों में से एक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या गणित में अपनी पहचान बना रहा है।

उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करते हुए भारतीय दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में नेतृत्व के पदों तक पहुंचे हैं। उनकी सरलता, नए प्रयोग करने का जुनून और मजबूत कार्य नैतिकता ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है। यह उन्हें अत्यधिक सम्मानित और प्रभावशाली व्यक्ति बनाते हैं।

भारतीय अमेरिकी सिर्फ कर्मचारी नहीं हैं। वे व्यवसाय के मालिक, नई कंपनियों का निर्माण करने वाले और नौकरी देने वाले हैं। अनुमानित 1.2 मिलियन व्यवसायों के साथ भारतीय अमेरिकी, अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में फैले ये व्यवसाय सालाना राजस्व में अनुमानित 1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देते हैं।

इस उद्यमशीलता की सफलता का एक शानदार उदाहरण आतिथ्य उद्योग में देखा जा सकता है। एशियन अमेरिकन होटल ओनर्स एसोसिएशन (AAHOA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अमेरिकियों के पास संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी होटलों और मोटल का 40% से अधिक हिस्सा है। इसमें लगभग 20,000 संपत्तियां शामिल हैं, जो इस उद्योग में उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति का प्रमाण है। अमेरिकी मोटल उद्योग में भारतीय अमेरिकियों का उदय इतना उल्लेखनीय रहा है कि इसने एक उपनाम 'पटेल मोटल कार्टेल' को जन्म दिया है।

इसके साथ ही भारतीय अमेरिकियों ने राजनीतिक क्षेत्र में काफी प्रगति की है। कई उल्लेखनीय हस्तियों ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, जिससे भारतीय अमेरिकी समुदाय के भीतर लाखों लोग प्रेरित हुए हैं। यह बढ़ोतरी अपनी विशिष्ट पहचान या विरासत को खोए बिना, अमेरिकी समाज में भारतीय अमेरिकियों के आत्मसात होने का प्रमाण है। यह अमेरिका की प्रगति में भारतीय अमेरिकियों की भूमिका के प्रति अमेरिकी जनता की बढ़ती स्वीकार्यता का प्रमाण है।

अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय अमेरिकियों के उदय का सशक्त उदाहरण विवेक रामास्वामी द्वारा दिया गया है। एक उद्यमी और लेखक रामास्वामी ने 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में राजनीति में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई है। अपने हिंदू धर्म पर हमले सहित तमाम चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, रामास्वामी ने राजनीति में भारतीय अमेरिकियों की बढ़ती स्वीकार्यता को रेखांकित करते हुए पार्टी से परे जाकर समर्थन हासिल किया है।

रामास्वामी का प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है। उनके सक्रिय प्रचार अभियान और मीडिया की उपस्थिति ने उन्हें रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के मैदान में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है, जो अमेरिकी राजनीति में भारतीय अमेरिकियों के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है।

जैसा कि हम भविष्य की ओर देखते हैं, भारतीय अमेरिकी समुदाय लगातार बढ़ रहा है। विकसित हो रहा है। वह अपनी पहचान बना रहा है। भारतीय अमेरिकी समुदाय की सफलता इस तथ्य का प्रमाण है कि अमेरिका की ताकत इसकी विविधता में निहित है। भारतीय-अमेरिकियों में इसकी स्वीकृति राष्ट्र को समृद्ध करती है। भारतीय अमेरिकियों की कहानी सिर्फ उनकी कहानी नहीं है, यह अमेरिकी कथा का एक अभिन्न हिस्सा है।

(लेखक इंद्रनील बसु रे कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट है। मेम्फिस, टेनेसी, यूएसए में स्थित कार्डियोलॉजी और पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर हैं। वह अमेरिकन एकेडमी फॉर योगा इन मेडिसिन के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं।)

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