भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख नेता अजय भुटोरिया और रमेश कपूर ने कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम से SB-403 विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की है। इनका कहना है कि इस विधेयक में जाति को संरक्षित श्रेणी के रूप में शामिल करने की बात कही गई है। लेकिन इसकी अस्पष्ट परिभाषा के कारण महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा हुई हैं, जो संभावित रूप से भेदभाव के मुद्दों को जन्म दे सकती हैं।
#BREAKING: Working with our young friends @hinduoncampus, we once again urge @GavinNewsom to #VetoSB403 and bring this explosive new video with testimonies from those harmed, targeted and profiled under the pretense of "caste discrimination" and forcibly assigned religion.
— CoHNA (Coalition of Hindus of North America) (@CoHNAOfficial) September 23, 2023
We… pic.twitter.com/IkeJKB71lk
हाल ही में शिकागो में आयोजित डेमोक्रेटिक पार्टी के महत्वपूर्ण फंडरेजर्स की सभा में भूटोरिया और कपूर ने गवर्नर न्यूसम से एसबी -403 के खिलाफ मतदान करने का आग्रह किया। यह विधेयक सीनेटर आयशा वहाब द्वारा पेश किया गया था। यह राज्य के कानूनी ढांचे के भीतर एक संरक्षित श्रेणी के रूप में जाति को शामिल करना चाहता है। हालांकि, इसकी अस्पष्ट परिभाषा के साथ-साथ अनावश्यक मुकदमों के माध्यम से दुरुपयोग की संभावना भी जताई जा रही है। यही वजह है कि कुछ वर्गों के बीच इसे लेकर गंभीर आशंकाएं हैं।
भुटोरिया का कहना है कि हालांकि विधेयक से आपत्तिजनक भाषा को हटा दिया गया है, लेकिन एक अस्पष्ट परिभाषा के आधार पर एक संरक्षित श्रेणी के रूप में जाति को शामिल करना दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए समस्याग्रस्त बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह अनजाने में रोजगार के अवसरों, कार्य पदोन्नति और कॉलेज प्रवेश से संबंधित मसलों में भेदभाव का रास्ता खोल सकता है। इसलिए उन्होंने ऐसे किसी भी कानून को लागू करने से पहले कैलिफोर्निया के भीतर प्रचलित जातिगत भेदभाव पर एक व्यापक अध्ययन करने पर जोर दिया, जो समाज को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है।
दरअसल, इस विधेयक को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम अपनी जाति की स्थिति के आधार पर भेदभाव का सामना करने वाले व्यक्तियों की रक्षा करने में मदद करेगा। हालांकि कई लोग स्पष्ट परिभाषाओं और दिशानिर्देशों की कमी के कारण इसके संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंता करते हैं। विवादास्पद विधेयक को कानून बनने से पहले गवर्नर के पास उनके हस्ताक्षर के लिए भेजा जा चुका है।
जानकारों का कहना है कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के नेताओं द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं कैलिफोर्निया में दक्षिण एशियाई प्रवासियों के भीतर जाति-आधारित भेदभाव की अधिक व्यापक समझ की आवश्यकता को उजागर करती हैं। यह एक ऐसा कानून साबित हो सकता है जिसे लागू करने से अनपेक्षित परिणाम सामने आ सकते हैं। अधिकारों के संरक्षण और दुरुपयोग की रोकथाम के बीच संतुलन बनाना अनिवार्य है।