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भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर ने माना कि उसने अवैध तरीके से कामवालियों को शरण दी और टैक्स चोरी की

न्याय विभाग ने बताया कि जब मामला पकड़ में आया तो डॉक्टर ने श्रमिक महिलाओं को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि अगर उन्होंने सरकारी अधिकारियों से ज्यादा बात की तो उन्हे गिरफ्तार करके वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।

Photo by Galina Kondratenko / Unsplash

न्यूजर्सी में एक भारतीय-अमेरिकी डॉक्टर ने कुबूल किया है कि उसने दो भारतीय महिलाओं को शरण दी जबकि उनके पास देश में रहने के दस्तावेज नहीं थे। अमेरिकी अटॉर्नी फिलिप आर सेलिंगर ने बताया कि इसी के साथ डॉक्टर को महिलाओं के वेतन पर टैक्स न चुकाने का दोषी भी पाया गया है। टिंटन फॉल्स की हर्षा साहनी (66) ने पिछले हफ्ते ट्रेंटन संघीय अदालत में स्वीकार किया कि उन्होंने न्यूजर्सी में अपने घर और परिवार का काम करने के लिए दो महिलाओं को रखा था।

This red haired young lady was inspired by the memory of my Grandmother, who in 1914 worked in service for the Trevellyn family and the Claverings as lowly kitchen maid. Born in 1900 in the tightest oppressive class system. She was impressed by the footman to believe herself to be as equal and worthy of respect as those she served. Rather than curtsying and stepping aside for the arrogant wealthy. The footman gave her courage to hold her head high and just keep walking. Grandma Martha Jane was strong willed her family from Scotland went back to Isabella Marr, Robert the Bruce first wife.
हर्षा साहनी (66) ने न्यूजर्सी में अपने घर और परिवार का काम करने के लिए दो महिलाओं को रखा था। Photo by Catherine Kay Greenup / Unsplash

न्याय विभाग ने जानकारी दी है कि डॉक्टर हर्षा करीब आठ साल तक उन महिलाओं से काम कराती रही और सच्चाई पर पर्दा डाले रही। इस दौरान डॉक्टर ने भारत में उन महिलाओं के परिवारों को पैसा पहुंचाया। डॉक्टर पर अनजान लोगों को शरण देने और मामले को छुपाने की साजिश के साथ ही झूठा टैक्स भरने के आरोप लगाए गए हैं।

न्याय विभाग ने बताया कि जब मामला पकड़ में आया तो डॉक्टर ने श्रमिक महिलाओं को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि अगर उन्होंने सरकारी अधिकारियों से ज्यादा बात की तो उन्हे गिरफ्तार करके वापस उनके देश भेज दिया जाएगा। यही नहीं महिला श्रमिकों की पहचान को छुपाने के लिए डॉक्टर ने फर्जी नाम और पते का सहारा लिया। उसने अपनी कामवालियों का करीब सात साल (2013 से 2019) का टैक्स भी नहीं भरा।

न्याय विभाग ने बताया है कि इस मामले में एक समझौता हुआ है। समझौते के एक हिस्से के रूप में डॉक्टर हर्षा पीड़ितों को संयुक्त रूप से 642,212 डॉलर का भुगतान करने के लिए तैयार है। इसके अलावा एक पीड़ित का मानसिक इलाज कराने के लिए 200,000 डॉलर देने पर भी रजामंदी हुई है। वह आईआरएस क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए भी सहमत हो गई है। संघीय जेल में उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। सजा का निर्धारण 20 जून को किया जाएगा।

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