संतोष
ऐसे समय में जब खालिस्तानी मुद्दे पर कनाडा के साथ भारत के संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। भारत नहीं चाहता है कि इसकी आंच भारतीय छात्रों के कनाडा में शिक्षा के सपने पर आए। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि शिक्षा और अन्य वीजा देना कनाडा का आंतरिक कार्य है। वह इसको कैसे हल करता है। यह उनको तय करना है।
यह माना जा रहा है कि भारत नहीं चाहता है कि दोनो देशों के तनाव का असर भारतीय छात्रों के कनाडा में शिक्षा लेने जैसे मूलभूत सपने पर हो। भारत ने कहा है कि इस समय भी भारत में कनाडा के राजनयिकों की अच्छी संख्या है। अगर कनाडा में भारतीय राजनयिकों की संख्या से तुलना करे तो भारत में कनाडा के राजनयिकों की संख्या काफी अधिक है। हम इस बिंदु पर समानता चाहते हैं। हमनें इस मुददे को कनाडा के साथ उठाया है।
क्या दोनों देश के बीच उपजे इस विवाद की वजह से भारतीय छात्रों के कनाडा में शिक्षा हासिल करने के लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं। खासकर ऐसे समय में जब कई छात्र वहां पर प्रवेश हासिल कर चुके हैं और उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए वहां जाना है। इस शरद सत्र से वहां पर शिक्षा सेशन शुरू होने वाला है, जिसमें पंजाब, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश से बड़ी संख्या में छात्रों ने वहां पर प्रवेश लिया है। वे प्रवेश शुल्क और अन्य पैसा अदा कर चुके हैं। उनका क्या होगा? इस सवाल पर भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कनाडा के राजनयिक यहां पर बड़ी संख्या में हैं। वे छात्रों के वीजा का मुद्दा आसानी से हल कर सकते हैं। इसको लेकर हमारी ओर से कोई समस्या नहीं है। हमनें कनाडा से आने वाले लोगों के वीजा को इस वजह से निलंबित किया है क्योंकि राजनयिकों की समान संख्या के साथ ही झूठे आरोपों के पक्ष में कनाडा ने कोई भी जानकारी फिलहाल तक उपलब्ध नहीं कराई है।
इस बीच भारत ने भी कनाडा के बाद अपने रूख में कुछ नरमी के संकेत दिए हैं। भारत ने कहा है कि दोनों देश के बीच बातचीत चल रही है। दोनों ही देशों के अपने कुछ मुददे हैं। जिनको हल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। दोनों देश के बीच बातचीत हो रही है। हालांकि हम अपने बिंदु को सख्ती से कनाडा के सामने रखेंगे। यह मामला बराबरी का है। जिस पर कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।