भारत वर्ष 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग की लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (बर्कले लैब) ने अपने हालिया अध्ययन के हवाले से यह दावा किया है। लैब ने भारत के तीन महत्वपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र- बिजली, परिवहन और उद्योग को आधार बनाकर ये अध्ययन किया है। भारत आर्थिक, पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा के क्षेत्र में काफी तरक्की करेगा।
The additional #equity will help in increased deployment of #power projects from #RE sources in country with increased availability of #electricity. Project developers will be encouraged to use ‘Make in India’ equipment/material in line with the vision of “Atmanirbhar Bharat”.
— Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) (@mnreindia) January 19, 2022
अध्ययन के बाद जारी रिपोर्ट में में कहा गया है कि इन प्रयासों से भारत में वर्ष 2047 तक उपभोक्ता लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर (करीब 2 लाख अरब रुपये) की राशि की बचत कर पाएंगे। जीवाश्म ईंधन के आयात में सालाना 90% तक की कमी आने का भी अनुमान लगाया गया है।
बर्कले लैब के स्टाफ साइंटिस्ट अमोल फड़के के मुताबिक भारत में ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को आने वाले दशकों में 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 2.4 लाख अरब) के निवेश की आवश्यकता होगी। दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए यह महत्वपूर्ण है।
दुनिया के तीसरे सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश भारत में तेज आर्थिक विकास के चलते आने वाले दशकों में ऊर्जा की मांग चौगुनी हो जाएगी। भारत को वर्तमान में अपनी खपत का 90% तेल, 80% औद्योगिक कोयला और 40% प्राकृतिक गैस आयात करनी पड़ती है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दबाव पड़ता है।
बर्कले लैब के वैज्ञानिक निकित अभ्यंकर ने कहा कि भारत ने दुनिया के सबसे बड़े लिथियम भंडार खोज निकाले हैं। आने वाले समय में यह भारत को आर्थिक और पर्यावरणीय संरक्षण के लिहाज से फायदा पहुंचाएगा। अध्ययन से पता चला है कि वर्ष 2030 तक भारत 500 गीगावॉट से अधिक गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करने लायक बन जाएगा।
भारत सरकार पहले ही साल 2040 तक 80% स्वच्छ ग्रिड और 2047 तक 90% स्वच्छ ग्रिड ऊर्जा का लक्ष्य तय कर चुकी है। शुरुआत में भारी औद्योगिक उत्पादों में से 90% लोहा और इस्पात, 90% सीमेंट और 100% उर्वरक का उत्पादन हरित हाइड्रोजन और विद्युतीकरण से हो सकेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2035 तक लगभग 100% नए इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा। नए इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए वर्ष 2040 तक अनुमानित 2 मिलियन टन तक लीथियम की जरूरत होगी। नए खोजे गए भंडार का उपयोग करके घरेलू स्तर पर ग्रिड-स्केल बैटरी स्टोरेज सिस्टम का उत्पादन किया जा सकता है। कहा गया है कि भारतीय उद्योगों को ईवी और ग्रीन स्टील मैन्युफैक्चरिंग जैसी स्वच्छ तकनीकों की ओर बढ़ना होगा। भारत दुनिया के सबसे बड़े ऑटो और स्टील निर्यातकों में से एक है।