अमेरिका की एक और रिपोर्ट में भारत की आलोचना की गई है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग USCIRF ने भारत के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग दोहराई थी। अब अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के अपहरण और उन्हें उनके माता-पिता से अलग किए जाने (IPCA) संबंधी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता।
अमेरिकी कांग्रेस में मंगलवार को दाखिल इस रिपोर्ट में भारत को 14 अन्य देशों के साथ इस श्रेणी में रखा गया है। जिन अन्य देशों द्वारा आईपीसीसी प्रोटोकॉल का पालन न करने का दावा किया गया है, उनमें अर्जेंटीना, ब्राजील, बुल्गारिया, इक्वाडोर, मिस्र, जॉर्डन, पेरू, कोरिया गणराज्य, रोमानिया, रूस और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के अपहरण और उन्हें उनके माता-पिता से अलग किए जाने संबंधी किसी भी प्रोटोकॉल का पालन न करने का भारत का रवैया 2022 में भी जारी रहा। भारतीय अधिकारी अमेरिकी विदेश विभाग के साथ मिलकर काम करने में लगातार नाकाम रहे हैं। इसकी वजह से अपहृत बच्चों को छुड़ाने के 65 फीसदी आग्रहों पर 12 महीने से अधिक समय तक सफल कार्रवाई नहीं की जा सकी।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाल अपहरण के नागरिक पहलुओं पर हेग संधि (1980) के तहत बच्चों को माता-पिता से अपहृत करके किसी दूसरे सदस्य देश ले जाए जाने पर वहां से उन्हें वापस लाने का तंत्र बनाया गया है। इस संधि पर 96 देशों ने हस्ताक्षर कर रखे हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऐसे मामले औसतन तीन साल और दस महीने की अवधि तक अनसुलझे रहे। हिरासत से जुड़े विवादों में मध्यस्थता के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा 2018 में गठित मध्यस्थता सेल अभी तक अमेरिका और भारत के बीच अपहरण के किसी भी मामले को नहीं सुलझा पाया है।
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