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अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन और भारत में लोकसभा का चुनाव

भारत की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने राम-मंदिर के निर्माण के महती भूमिका निभाई है। उसके गंभीर प्रयासों के चलते यह मसला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और परिणाम निकल आया कि जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था, वहीं पर राम मंदिर बनेगा।

सभी फोटो व ग्राफिक साभार: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य स्थित अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। उम्मीद है कि देश-विदेश के रामभक्त अगले साल मकर संक्रांति (जनवरी) से वहां भगवान श्रीराम (रामलला) के दर्शन करना शुरू कर दें। इसी टारगेट को ध्यान में रखते हुए मंदिर का भव्य निर्माण जारी है। विशेष बात यह है कि अगले ही साल भारत में लोकसभा का चुनाव भी है।

इस चुनाव पर राममंदिर के निर्माण का असर होगा या नहीं, यह सोच का विषय है। लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि भगवान राम की जन्मभूमि में बन रहा भव्य मंदिर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और उनकी सरकार के प्रयासों के चलते ही संभव हो पाया है। दूसरी ओर राममंदिर के निर्माण को लेकर लोगों में इतनी अगाध आस्था और श्रद्धा है कि मंदिर के लिए मिल रहे चंदे की धनराशि तीन गुणा बढ़ गई है।

भारत सरकार व यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार की देखरेख में चल रहे इस मंदिर के निर्माण के बीच अब कोई बाधा नहीं रह गई है। न तो कोई सांप्रदायिक तनाव है और न ही किसी प्रकार की प्रशासनिक व आर्थिक परेशानी। मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनाए गए ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’द्वारा किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण देश की नामी कंपनी लार्सन एंड टूब्रो कंपनी कर रही है। इसके सलाहकार के रूप में टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स भी मंदिर पर निगाह रखे हुए है।

अब तक जो जानकारी है, उसके अनुसार तीन मंजिला इस मंदिर का 50 प्रतिशत से अधिक निर्माण हो चुका है। पूरा मंदिर तो वर्ष 2025 में ही बनकर तैयार हो पाएगा, लेकिन ट्रस्ट का कहना है कि अगले साल शुरू में ही मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम (रामलला) की मूर्ति स्थापित कर उसे मकर संक्रांति को रामभक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। ट्रस्ट की ओर गर्भगृह की फोटो भी जारी कर दी गई है। पहले यह जानकारी दी गई थी कि इस साल दिसंबर में दर्शन के लिए गर्भगृह खोल दिया जाएगा। लेकिन अब उसका समय अगले साल तक टाल दिया गया है।

यह है मंदिर का गर्भगृह, जहां पर भगवान श्रीराम (रामलला) स्थापित होंगे। 

इस बात में कोई दो-राय नहीं है कि भारत की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने राम-मंदिर के निर्माण के महती भूमिका निभाई है। उसके गंभीर प्रयासों के चलते यह मसला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और परिणाम निकल आया कि जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था, वहीं पर राम मंदिर बनेगा। इसके बाद सरकार ने बहुत तेजी से काम किया और शिलान्यास से लेकर मंदिर का निर्माण तेजी से शुरू करवा दिया। चूंकि भारत के हर मसले पर राजनीति का प्रवेश हो जाता है, तो कहा जा रहा है कि अगले साल मंदिर में रामलला के दर्शन का मुद्दा मई-जून में होने वाले लोकसभा चुनाव (इसमें वह सरकार चुनी जाती है, जो देश चलाती है) पर भी असर डालेगा। वैसे बीजेपी इस मसले को सामान्य ले रही है। उसके नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार फिर से इसलिए आएगी क्योंकि उसके नेतृत्व में देश में विकास हो रहा है, सरकारी योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक पहुंच रहा है और विश्व में भारत की मजबूत छवि बन रही है। उनका कहना है कि देश की जनता भी जान चुकी है कि भारत किस सरकार के नेतृत्व में आगे बढ़ सकता है।

भारत की नामी कंपनियों की देखरेख में भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा है।

दूसरी ओर जब से मंदिर निर्माण चल रहा है, उसके निर्माण के लिए भारत सहित पूरी दुनिया से आ रहे चंदे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ट्रस्ट सूत्रों के अनुसार देश-दुनिया से मिलने वाले चंदे में तो बढ़ोतरी हो ही रही है, जो चंदा मंदिर परिसर में चढ़ाया जा रहा है, उसकी धनराशि तीन गुणा बढ़ गई है। ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता के अनुसार दान से मिली राशि जिस बैंक में जमा की जा रही है, वहां के अफसरों ने बताया है कि यह राशि अब बढ़कर तीन गुणा हो गई है। गुप्ता के अनुसार उम्मीद है कि इस राशि में लगातार इजाफा होगा। लगातार बढ़ रहे चंदे को लेकर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पहले ही कह चुके हैं कि हमें निकट भविष्य में तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर व्यवस्था करनी पड़ेगी ताकि चंदे की धनराशि को लेकर किसी प्रकार का भ्रम न रहे। जो भी दान आए, वह भक्तों के सामने रहे ताकि उन्हें संतोष हो कि उनके दिए चंदे का वाकई मंदिर निर्माण के लिए हो रहा है। माना जा रहा है वर्ष 2025 के अंत तक पूरा मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर की नींव इस तरह बनाई गई है कि वह अगले 1000 सालों तक पत्थरों का भार सहन कर सके, ताकि मंदिर अक्षुण्ण बना रहे। विशेष बात यह है कि मंदिर के आसपास के क्षेत्र को भी विकसित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं ताकि वहां आने वाले श्रद्धालु मन से भगवान श्रीराम के दर्शन कर पाएं। उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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