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Summit for Democracy में मोदी ने किया 'सबका साथ, सबका विकास' का जिक्र

पीएम मोदी ने सबका साथ और सबका विकास का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र केवल एक संरचना नहीं है। यह एक आत्मा भी है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर इंसान की जरूरतें और आकांक्षाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

Photo : https://www.state.gov/summit-for-democracy/

समिट फॉर डेमोक्रेसी के दूसरे संस्करण में बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और वसुधैव कुटुंबकम का जिक्र किया और लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की भूमिका पर भी बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कई वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है। इस समिट का आयोजन दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने किया था।

वीडियो लिंक के जरिए समिट को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि प्राचीन भारत में नेता चुनना एक सामान्य प्रक्रिया थी। महाभारत में नागरिकों का पहला कर्तव्य अपने नेता को चुनने के रूप में वर्णित किया गया है। हमारे पवित्र वेद भी यह बात कहते हैं। मोदी ने सबका साथ और सबका विकास का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र केवल एक संरचना नहीं है। यह एक आत्मा भी है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर इंसान की जरूरतें और आकांक्षाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान उनकी सरकार की हर पहल भारतीयों के सामूहिक प्रयासों के साथ संचालित हो रही थी। यही वजह है कि हम मेड इन इंडिया टीकों की 2 अरब से अधिक खुराक भारतीयों को लगा पाए। इसके अलावा 'वैक्सीन मैत्री' पहल के जरिए लाखों टीके दुनिया के साथ साझा कर सके। मोदी ने कहा कि यह 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की लोकतांत्रिक भावना से भी निर्देशित था।

बता दें कि इस समिट की अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ-साथ कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो चावेस रॉबल्स, जाम्बिया के राष्ट्रपति हाकिंडे हिचिलेमा, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने की थी।

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