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यमुनोत्री की 5 घंटे की यात्रा 10 मिनट में पूरी हो सकेगी, रोपवे करेगा राह आसान

कहते हैं कि यमुनोत्री ही वह स्थान है जहां से यमुना निकली है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए एक अच्छी खबर है। यात्री जल्द ही यहां रोपवे का आनंद ले सकेंगे। रोपवे बन जाने के बाद 5 घंटे का सफर 10 मिनट में पूरा हो जाएगा।

यमुनोत्री में रोपवे की तैयारी 

भारत के उत्तराखंड की हसीन वादियां किसे नहीं लुभातीं। यहां के चारधाम में एक यमुनोत्री भी है। कहते हैं कि यमुनोत्री ही वह स्थान है जहां से यमुना निकली है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए एक अच्छी खबर है। यात्री जल्द ही यहां रोपवे का आनंद ले सकेंगे। इससे सफर की मुश्किलें भी आसान होंगी। रोपवे बन जाने के बाद 5 घंटे का सफर 10 मिनट में पूरा हो जाएगा।

यमुनोत्री में रोपवे की लंबाई 3.7 किमी लंबी (हवाई दूरी) होगी (सांकेतिक तस्वीर साभार सोशल मीडिया)

खबरों के अनुसार रोपवे परियोजना के लिए लगभग 3.8 हेक्टेयर (38,000 वर्ग मीटर) जमीन का उपयोग किया जाएगा। रोपवे की लंबाई 3.7 किमी लंबी (हवाई दूरी) होगी। यह रोपवे यमुनोत्री पवित्र स्थल को खरसाली गांव से जोड़ेगा। परियोजना की दिलचस्प बात यह है कि यहां आने वाले सैलानी कम समय में ज्यादा उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों का ज्यादा लुत्फ उठा पाएंगे।

रोपवे के प्रस्ताव को पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) से मंजूरी मिल गई है। इस संबंध में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि रोपवे के प्रोजेक्ट पर वर्ष 2006 में काम शुरू हुआ था। इसके लिए खरसाली गांव के स्थानीय लोगों ने करीब डेढ़ हेक्टेयर जमीन पर्यटन विभाग को दी थी। रोपवे की परियोजना 16 साल से अधिक समय तक सरकारी फाइलों में अटकी रही। अब जाकर बात आगे बढ़ी है।

पुजारियों और तीर्थयात्रियों को मंदिर तक पहुंचने के लिए जानकी चट्टी से शुरू होने वाली 5 किमी की कठिन यात्रा पूरी पड़ती है। अधिक ऊंचाई और चढ़ाव यात्रियों के लिए भी खासा जोखिम भरा है। थोड़ी सी चूक भी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकती है। खासकर बुजुर्गों को रास्ते में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाने पर काफी मुश्किल हो जाती है।

गंगोत्री मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं। (साभार सोशल मीडिया)

इस लिहाज से रोपवे न केवल यात्रा के समय को बचाएगा बल्कि सुरक्षित पर्यटन को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा। पर्यटकों के जान की सुरक्षा पहली शर्त होती है। इस लिहाज से रोपवे सुकून भरी यात्रा कराएगा। इस मामले में स्थानीय पर्यटन अधिकारी का कहना है कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) के आगे बढ़ने से निर्माण संभवत इस गर्मी से शुरू हो जाएगा। साथ ही दो साल में इसके पूरा होने की खबर है।

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