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UNHRC में पहली भारतीय एशियाई विशेष दूत अश्विनी ने कहा, मैंने भी झेला है भेदभाव

अश्विनी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व है लेकिन विदेशी नागरिक ही इन लोगों को चुनते हैं। यह उनकी आवाज है जिसका सामूहिक रूप से एक भारतीय प्रतिनिधित्व करता है। यह वास्तव में भारतीय प्रतिनिधित्व नहीं है।

केपी अश्विनी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में पहली भारतीय और एशियाई विशेष दूत (Rapporteur) हैं। बीती 25 जनवरी को क्राइस्ट एकेडमी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, बैंगलोर में जेंडर सेंसिटाइजेशन कमिटी की ओर से आजोयित कार्यक्रम में उन्होंने अतिथि व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्होंने ऐसे कई उदाहरण दिए जो समाज में और वैश्विक स्तर पर व्यवस्थित भेदभाव को स्वीकार करने की जरूरत को उजागर करते हैं।

केपी अश्विनी संयुक्त राष्ट्र में नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, जेनोफोबिया और संबंधित असहिष्णुता के समकालीन मामलों की विशेष दूत हैं। उन्हें अक्टूबर 2022 में मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किया गया था। वह महिलाओं की गरिमा और समानता के लिए काम करने वाले गठबंधन जरिया की सह-संस्थापक और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ साउथ एशिया की विजिटिंग फेलो भी हैं। न्यू इंडिया अब्रॉड से वार्ता में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपनी भूमिका और इसके महत्व के बारे में अपने मन की बात कही।

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