विदेशों में भारतीय भाषाओं के प्रति बढ़ती रुचि को देखते हुए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) ने सभी भारतीय भाषाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। अगले अकादमिक सत्र से हिंदी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाएं विदेशी छात्र-छात्राओं को पढ़ाई जाएगी। आईसीसीआर का है कि हमारा मकसद देश से बाहर भारतीय संस्कृति का प्रचार करना है और सांस्कृतिक कूटनीति के लिए सभी भाषाएं महत्वपूर्ण हैं।
आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धि ने मीडिया को बताया, आईसीसीआर का मानना है भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है और केवल एक भाषा तक सीमित रहना नहीं है। भाषा हमारी संस्कृति का हिस्सा है और यह संस्कृति को प्रचारित करने का महत्वपूर्ण साधन बन चुका है।आईसीसीआर हिंदी और अन्य भाषाओं के प्रचार के माध्यम से यह कार्य कर रहा है।'

जैसी मांग वैसा पाठ्यक्रम
विदेशों में केवल भारतीय भाषा के प्रति रुचि ही नहीं बढ़ी बल्कि वे इन भाषाओं को पढ़ाए जाने की मांग भी कर रहे हैं। लिहाजा उनकी मांग को देखते हुए आईसीसीआर प्रशिक्षण भी आयोजित कर रहा है। यह मांग विशेष रूप से भारतीय मूल के नागरिकों की तरफ से आ रही है। वहीं, इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि जिस देश से जैसी मांग हो, उसी भाषा का प्रशिक्षण दिलाया जाए। इजरायल में मराठी जनसंख्या अधिक है तो आईसीसीआर के सेंटर पर मराठी भाषा के प्रशिक्षण की सुविधा दी जा रही है।
इग्नू और केंद्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से मिलाया हाथ
आईसीसीआर ने इस नई पहल के तहत भारत की राजधानी नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय यानी की इग्नू और वर्धा के केंद्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से हाथ मिलाया है और उनके साथ मिलकर भारतीय भाषाओं पर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। पाठ्यक्रम तैयार हो जाने के बाद भारत के बाहर मौजूद आईसीसीआर के सेंटर पर पसंदीदा विषय की पढ़ाई की जा सकेगी। इसके लिए योग्य शिक्षकों को भी नियुक्त किया जाएगा।