शिक्षा के लिहाज से ऑस्ट्र्रेलिया भारतीय छात्रों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कोविड प्रभावित वर्ष को छोड़ दें तो हर साल एक लाख से अधिक भारतीय छात्र यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए आते हैं। कोविड के दौरान जब ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था प्रचलित हुई तो कई विद्यार्थियों को भारत से रहकर कोर्स पूरा करना पड़ा, शायद इसी व्यवस्था ने इस विचार को पैदा किया कि क्यों न भारत में रहकर वैश्विक शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। इसी प्रयास के तहत ऑस्ट्रेलिया के डीकिन यूनिवर्सिटी और भारत के ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी ने हाथ मिलाया है।
भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी के बीच यह अपने तरह का पहला समझौता है जिसके तहत सबसे पहले भारत में ऑस्ट्रेलिया के संस्थानों को ट्रांस-नैशनल शिक्षा और शोध के नए मॉडल से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य भारतीय बच्चों को हाइब्रिड मॉडल से जोड़कर वैश्विक शिक्षा देना है। भारतीय स्टूडेंट्स को इस मॉडल से अंतरराष्ट्रीय कैम्पस का अनुभव मिल पाएगा। वे अपनी पढ़ाई भारत में रहकर ऑस्ट्रेलियाई संस्थानों में पूरी कर पाएंगे और साथ ही पाठ्यक्रम के दौरान उन्हें ऑस्ट्रेलिया जाकर पढ़ने का भी अवसर मिलेगा।
भारत की आजादी के 75वें वर्ष पर ऑस्ट्रेलिया ने नई दिल्ली के साथ अपने संबंध को लेकर एक ब्रोशर जारी किया है जिसमें भारत के साथ विभिन्न क्षेत्रों पर की जा रही साझेदारी की एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।

इस ब्रोशर को शेयर करते हुए भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओर फेरेल ने कहा, '2021 में डीकिन और जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने अपने तरह की पहली साझेदारी की है ताकि भारतीय स्टूडेंट्स को वैश्विक अवसर मिल सके। पठन और पाठन के हाइब्रिड मॉडल के जरिए जिंदल और डीकिन एजुकेशन (JADE) साझेदारी भारत में स्टूडेंट्स को वैश्विक शिक्षा, प्रशिक्षण और शोध का नया मॉडल पेश कर रही है।'
#DYK almost 1 in 5 overseas students in 🇦🇺 are from 🇮🇳?
— Barry O’Farrell AO (@AusHCIndia) April 30, 2022
🇦🇺 continues to be a high-quality education provider & partner for 🇮🇳. In 2021, 🇦🇺@Deakin & 🇮🇳@JindalGlobalUNI launched a first-of-its-kind partnership to provide global opportunities for Indian students. #IESUpdate (1/2) pic.twitter.com/IqpUmkb81n
उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहे हर पांच विदेशी बच्चे में एक भारतीय है। विदेशी बच्चों में भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या 19 प्रतिशत है जबकि चीन की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत, नेपाल की 11, वियतनाम की 5 और कोलंबिया की 4 प्रतिशत है। दूसरी ओर भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने वाले छात्रों का ट्रेंड देखें तो 10 साल पहले 2012 में लगभग 60 हजार भरातीय छात्रों ने एडमिशन लिया था जिनकी संख्या 2020 तक आते आते 1.5 लाख के आसपास पहुंच गई।