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हमारे बिना UNSC कैसे बनेगा दुनिया की आवाज? मोदी ने उठाया सवाल

साक्षात्कार में मोदी से पत्रकार ने पूछा कि क्या UNSC की विश्वसनीयता दांव पर है? इस पर मोदी ने कहा कि सवाल सिर्फ विश्वसनीयता का नहीं है बल्कि इससे भी बड़ा है। यह दुनिया के लिए बोलने का दावा कैसे कर सकता है? जब दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है।

Photo : Twitter @narendramodi

फ्रांस की अपनी दो दिवसीय यात्रा से पहले फ्रांसीसी दैनिक लेस इकोस के साथ एक साक्षात्कार में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाने की वकालत की।

साक्षात्कार में मोदी से पत्रकार ने पूछा कि क्या UNSC की विश्वसनीयता दांव पर है? इस पर मोदी ने कहा कि सवाल सिर्फ विश्वसनीयता का नहीं है बल्कि इससे भी बड़ा है। मोदी ने कहा कि हम इसे एक वैश्विक निकाय के प्राथमिक अंग के रूप में कैसे कह सकते हैं? जबकि वह अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीपों को नजरअंदाज करता है। यह दुनिया के लिए बोलने का दावा कैसे कर सकता है? जब दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है।

मोदी ने कहा कि इस संबंध में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक रणनीतिक भागीदार थे, जिन्होंने नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और बदली हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपने विचार साझा किए थे। मुझे लगता है कि अधिकांश देश इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में क्या बदलाव देखना चाहते हैं, जिसमें भारत की भूमिका भी शामिल है। हमें बस उनकी आवाज सुनने और उनकी सलाह मानने की जरूरत है। मैं इस मामले में फ्रांस द्वारा अपनाई गई स्पष्ट और सुसंगत स्थिति की सराहना करता हूं।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर मोदी

मोदी से पूछे जाने पर कि क्या भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में शांतिदूत की भूमिका निभाएगा?  पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके यूक्रेनी समकक्ष वलोडिमिर जेलेंस्की से कई बार बात की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत उन सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है, जो संघर्ष को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत का रुख स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत रहा है। मैंने कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मुद्दों को हल करने का आग्रह किया है। उन्होंने लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के प्रभाव विशेषकर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी चिंता व्यक्त की।

मोदी ने कहा कि पहले से ही कोविड महामारी के प्रभाव से पीड़ित देश अब ऊर्जा, भोजन और स्वास्थ्य संकट, आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति और बढ़ते कर्ज के बोझ का सामना कर रहे हैं। संघर्ष समाप्त होना चाहिए।

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