अमेरिका की हिंदू यूनिवर्सिटी (HUA) ने हिंदूज ऑफ ग्रेटर ह्यूस्टन (एचजीएच) के साथ मिलकर 26 मार्च की शाम ह्यूस्टन के वीपीएसएस हवेली में एक सम्मेलन का आयोजन किया। एचयूए के मित्रों के इस सम्मेलन में समुदाय के लगभग 500 सदस्यों ने भाग लिया। इस मौके पर एचयूए को 1 मिलियन डॉलर (8 करोड़ रुपये से अधिक) का दान देने वाले किरण और रमेश भूतड़ा एवं उनके परिवार को सम्मानित किया गया। स्टार पाइप प्रोडक्ट्स के सीईओ रमेश भूतड़ा ह्यूस्टन के एक सफल व्यवसायी और समाजसेवी हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत में एचयूए के फैकल्टी डॉ. कणिकस कनिकेश्वरन ने शानदार संगीत की प्रस्तुति दी। उनके ग्रुप ने पश्चिमी संगीत वाद्य यंत्रों के साथ हिंदू शास्त्रीय गायकी के साथ उस शाम को संगीतमय बना दिया। इसके बाद एचयूए के पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों पर एक छोटा वीडियो प्रस्तुत किया गया।
एचयूए बोर्ड के अध्यक्ष और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित वेद नंदा और एचयूए के अध्यक्ष कल्याण विश्वनाथन ने एचयूए की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रमेश भूतड़ा का संबोधन था। इस दौरान उन्होंने बताया कि सहयोग देने के लिए एचयूए को ही क्यों चुना। उन्होंने कहा कि वह वास्तव में हिंदू धर्म के सार को नहीं समझते हैं। जिस चांदी के चम्मच के साथ वह पैदा हुए, उसे पहचानने में उन्हें 60 साल लग गए। हिंदू धर्म हमें सिखाता है कि अपने भीतर, अपने परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों के साथ में सद्भाव से कैसे रहना है।
एचयूए के अध्यक्ष कल्याण विश्वनाथन ने आह्वान किया कि एक हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण करने के लिए एक साथ आएं। यह विश्वविद्यालय तंजावुर के बृहदीश्वर मंदिर की तरह 1000 वर्षों तक चले, या नालंदा विश्वविद्यालय की तरह दुनिया का पथ प्रदर्शक बने। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में एचयूए आत्मनिर्भर संस्था बन जाएगा।
एचयूए के अध्यक्ष वेद नंदा ने कहा कि संस्था पूरे हिंदू समुदाय से संबंधित है। उन्होंने सभी हिंदू-अमेरिकी संगठनों, समुदाय के नेताओं और सदस्यों को हिंदू ज्ञान और शिक्षा के लिए एचयूए को एक प्रमुख केंद्र बनने के लिए समर्थन करने कहा।
एचजीएच बोर्ड ऑफ एडवाइजर्स के अध्यक्ष राशेश दलाल ने कहा, हिंदू एकता के साथ लगन से काम करने पर चमत्कार कर सकते हैं। अमेरिका के हिंदू विश्वविद्यालय का लक्ष्य मिशन नैतिकता और आत्म-प्रतिबिंब से जुड़े हिंदू विचारों पर आधारित ज्ञान प्रणालियों में शिक्षा प्रदान करना है।