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बच्चों को हिंदी भाषा सहित भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रहा HindiUSA

HindiUSA के सबसे अधिक 18 स्कूल न्यू जर्सी में हैं। इसके अलावा दो कनेक्टिकट में 1 बोस्टन और 1 मैरीलैंड में भी है। कई ऑनलाइन क्लास भी ली जाती हैं जिनमें कनाडा से भी बच्चे हिंदी पढ़ते हैं।

सभी फोटो साभार: HindiUSA

भारतीय अमेरिकियों के बीच अपनी अगली पीढ़ी को हिंदी सिखाने का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। जहां एक तरफ भारत में अभिभावकों के बीच अंग्रेजी भाषा को सिखाने की होड़ है तो वहीं अमेरिका में भारतीय अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे हिंदी में भी उतना ही निपुण बनें जितने वे अमेरिकी और अन्य भाषा में बन रहे हैं। इस बात का प्रमाण अमेरिका के संगठन HindiUSA में बढ़ते बच्चों की संख्या से देखने को मिलता है।

HindiUSA से ग्रेजुएट हुए भारतीय अमेरिकी बच्चे

HindiUSA में जहां हजारों बच्चे वर्तमान में हिंदी भाषा सीख रहे हैं वहीं कई भारतीय अमेरिकी बच्चे प्रतिवर्ष हिंदी के एक्सपर्ट बनकर ग्रेजुएट भी हो रहे हैं। इस संगठन से वे न सिर्फ हिंदी सीखते हैं बल्कि भारतीय संस्कृति, विज्ञान, संस्कार और भारत के सच्चे इतिहास की भी जानकारी हासिल करते हैं।

कक्षाओं में दीपावली मनाते हुए संगठन से जुड़े बच्चे

HindiUSA के वाइस प्रेजीडेंट राज मित्तल ने न्यू इंडिया अब्रॉड से खास बातचीत में बताया कि आज संगठन के कुल 26 स्कूल चलते हैं। इनमें सबसे अधिक 18 स्कूल न्यू जर्सी में हैं। इसके अलावा दो कनेक्टिकट में 1 बोस्टन और 1 मैरीलैंड में भी है। कई ऑनलाइन क्लास भी ली जाती हैं जिनमें कनाडा से भी बच्चे हिंदी पढ़ते हैं। इसके अलावा कई एफीलेट स्कूल भी हैं जिनमें 1000 अतिरिक्त बच्चे हैं जो हिंदी भाषा सीखते हैं। इस काम को सफल बनाने के लिए करीब 500 वालंटियर हैं।

हिंदी कविता प्रतियोगिता- सैकड़ों दर्शकों के सामने कविता का पाठ करता छात्र।

मित्तल बताते हैं कि करीब 20 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो भारतीय नहीं हैं। उनमें अमेरिकी, मैक्सिको, साउथ अफ्रीकी मूल के हैं। खास बात ये भी है कि भारतीय अमेरिकी बच्चों में 50 प्रतिशत बच्चे दक्षिण भारत के हैं जिनकी मूल भाषा हिंदी नहीं है लेकिन हिंदी सीखने को लेकर उनकी उत्सुकुता काफी ज्यादा है।

वह बताते हैं कि हमारी क्लास 9 लेवल की होती हैं जिसके बाद बच्चे ग्रेजुएट माने जाते हैं। पढ़ाई की शुरुआत स्वर और वर्णमाला से ही की जाती है। इसके बाद बच्चों का स्तर प्रतिवर्ष धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। प्रतिवर्ष बच्चों की परीक्षा होती है जिसके बाद ही अगले लेवल पर बच्चे को भेजा जाता है। मित्तल बताते हैं कि जो बच्चे ग्रेजुएट हो जाते हैं उनमें 60 प्रतिशत छात्र संगठन के साथ जुड़कर वालंटियर बन जाते हैं और हिंदी के प्रचार-प्रसार में संगठन के लिए सेवा करते हैं।

पढ़ाई की शुरुआत स्वर और वर्णमाला से ही की जाती है। इसके बाद बच्चों का स्तर प्रतिवर्ष धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। 

वह बताते हैं कि हिंदी भाषा सिखाना ही HindiUSA का एकमात्र उद्देश्य नहीं है। इसके जरिए संगठन भारतीय संस्कृति, विज्ञान और भारत के सच्चे इतिहास की भी जानकारी बच्चों को देता है। बच्चों को माता-पिता का सम्मान करना सिखाया जाता है जोकि अमेरिकी संस्कृति में देखने को नहीं मिलता। इसके लिए खास मातृ-पितृ दिवस मनाया जाता है जिसमें बच्चे अपने माता-पिता की पूजा करते हैं और उन्हें भगवान के रूप में प्रसाद भी खिलाते हैं।

मातृ-पितृ दिवस समारोह: माता-पिता की पूजा करते हुए बच्चे

कब शुरू हुआ HindiUSA

मित्तल बताते हैं कि संगठन की शुरुआत देवेंद्र सिंह और रचिता सिंह द्वारा साल 2001 में की गई थी। मुझे मिलाकर शुरुआत में मात्र चार वालंटियर थे। हमारा पहले दिन से उद्देश्य रहा है कि हम भारतीय अमेरिकी बच्चों को हिंदी सिखाने के साथ-साथ अपनी संस्कृति को लेकर भी जागरूक करें। इसी सोच के साथ आज हम 26 स्कूल अमेरिका में चलाते हैं। शुरुआत 8 बच्चों से हुई थी आज करीब 3000 बच्चे संगठन के विभिन्न स्कूलों में हिंदी सीखते हैं और भारतीय संस्कृति का ज्ञान लेते हैं।

क्या है फीस और कितने समय की होती है हिंदी की क्लास

राज मित्तल बताते हैं कि हिंदी यूएसए एक गैर-लाभकारी संगठन है। इसलिए मात्र 260 डॉलर प्रतिवर्ष फीस ली जाती है। 15 जुलाई तक फीस में 50 डॉलर का भी डिस्कांउट दिया जाता है। हिंदी यूएसए की ओर से ली जाने वाली क्लास शाम 7 से 8:30 के बीच होती है।

भारत भ्रमण पर HindiUSA संगठन से जुड़े भारतीय अमेरिकी बच्चे

हर दो साल में एक बार भारत भ्रमण भी कराता है संगठन

मित्तल बताते हैं कि संगठन की ओर से हर दो साल में भारत भ्रमण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। 2023 के दिसंबर में भी संगठन की ओर से एक ग्रुप भारत आएगा। भारत में बच्चों को भारतीय संस्कृति, इतिहास और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले भारत भ्रमण के दौरान बच्चों के ग्रुप से भारत के पूर्ण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी मुलाकात की थी।

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