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ऑस्ट्रेलिया से 'मिले' हनुमान, इटली से बुद्ध और कनाडा से आईं अन्नापूर्णां

भारत सरकार देश के भीतर देश की पुरातन विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में काम कर रही है। अतीत में अवैध रूप से विदेश ले जाई गईं बहुमूल्य मूर्तियों आदि को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

पिछले सालों में लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत से चोरी की गई बहुमूल्य प्रतिमाएं या तो वापस लाई जा रही हैं या उनके वापस आने का रास्ता साफ हो चुका है। भारत सरकार ने बताया है कि हाल ही में चोल वंश से संबंधित भगवान हनुमान की चोरी की गई मूर्ति को ऑस्ट्रेलिया से वापस लाया गया है। ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में भारतीय उच्चायुक्त को यह मूर्ति सौंपी गई थी। इसके बाद फरवरी 2023 में इस मूर्ति को भारत लाया गया था।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यह मूर्ति भारत के तमिलनाडु के एक मंदिर से चोरी की गई थी। यह राज्य के अरियालुर जिले के पोट्टावेली वेल्लूर के श्री वरथराजा पेरूमल स्थित भगवान विष्णु के मंदिर से चुराई गई थी। भारत सरकार ने इस मूर्ति को तमिलनाडु सरकार की मूर्ति विंग को सौंप दिया है। यह चोल साम्राज्य यानी 14वीं-15वीं शताब्दी से संबंधित है।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार देश के भीतर देश की पुरातन विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में काम कर रही है। अतीत में अवैध रूप से विदेश ले जाई गईं बहुमूल्य मूर्तियों आदि को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अभी तक 251 प्राचीन काल की वस्तुओं को विभिन्न देशों से वापस लाया गया है। इनमें से 238 को साल 2014 से वापस लाया गया है।

बता दें कि इससे पहले बुद्ध की एक मूर्ति इटली से मिली थी। इस मूर्ति को बिहार से 20 साल पहले चुराया गया था। इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम के 29वें एपिसोड में एक ऐसी ही मूर्ति का जिक्र किया था। उन्होंन कहा था कि एक सदी पहले भारत से चोरी की गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को कनाडा से वापस लाया जाएगा। यह मूर्ति वाराणसी से साल 1913 के आसपास चोरी हुई थी और तस्करी कर कनाडा भेज दी गई थी।

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