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अल्पसंख्यकों के लिए सर्वाधिक सहिष्णु देश है भारत, CPA की रिपोर्ट

वैश्विक अल्पसंख्यकों की इस रिपोर्ट में दुनिया के 110 देशों का आकलन किया गया और पाया कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्वीकृति का स्तर सर्वोच्च है। भारत के बाद दक्षिण कोरिया और फिर जापान, पनामा तथा अमेरिका का नंबर है।

Photo by Artem Beliaikin / Unsplash

वैश्विक अल्पसंख्यकों पर अपने प्रारंभिक मूल्यांकन में सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस (CPA) ने भारत को धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार के मामले में पहले नंबर पर रखा है। जहां तक धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति समावेशिता की बात है तो CPA ने भारत को शीर्ष माना है।

वैश्विक अल्पसंख्यकों की इस रिपोर्ट में दुनिया के 110 देशों का आकलन किया गया और पाया कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्वीकृति का स्तर सर्वोच्च है। भारत के  बाद दक्षिण कोरिया और फिर जापान, पनामा तथा अमेरिका का नंबर है। मालदीव, अफगानिस्तान और सोमालिया सूची में सबसे नीचे हैं। ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात का क्रमशः 54वां और 61वां स्थान है।

शोध के अनुसार भारत की अल्पसंख्यक नीति विविधता को बढ़ाने वाले दृष्टिकोण पर आधारित है।

शोध के अनुसार भारत की अल्पसंख्यक नीति विविधता को बढ़ाने वाले दृष्टिकोण पर आधारित है। भारत के संविधान में संस्कृति और शिक्षा में धार्मिक अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं। रिपोर्ट कहती है कि किसी अन्य संविधान में भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। भारत का संविधान इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि भारत में किसी भी धार्मिक संप्रदाय पर कोई प्रतिबंध नहीं है जबकि कई अन्य देशों में ऐसा नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार इसकी समावेशिता और कई धर्मों और उनके संप्रदायों के खिलाफ भेदभाव की कमी के कारण संयुक्त राष्ट्र भारत की अल्पसंख्यक नीति को अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में उपयोग कर सकता है। बावजूद इसके भारत की अल्पसंख्यक नीति अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाती क्योंकि ऐसे भी कई दृष्टांत हैं जो बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय में टकराव का पता देते हैं। खासतौर से कई मामलों पर मुस्लिम समुदाय के साथ।

इन्हीं वास्तविक हालात के मद्देनजर रिपोर्ट में यह बात व्यापक रूप से कही गई है कि भारत की अल्पसंख्यक नीति की समय-समय पर समीक्षा और पड़ताल जरूरी है। रिपोर्ट सलाह देती है कि अगर भारत चाहता है कि उसका आंगन संघर्ष-मुक्त रहे तो उसे अल्पसंख्यकों के प्रति अपने दृष्टिकोण को तर्कसंगत बनाना होगा।

CPA द्वारा तैयार की गई वैश्विक अल्पसंख्यक रिपोर्ट का उद्देश्य यही है कि विश्व समुदाय को यह बताया-समझाया जा सके कि तमाम देशों में अल्पसंख्यकों के साथ उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव होता है।

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