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G20 बैठक पर यूक्रेन युद्ध का साया, मोदी ने कहा- वैश्विक शासन फेल हो गया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह बैठक गहरे वैश्विक विघटन के समय हो रही है और विदेश मंत्री होने के नाते सबके लिये यह स्वाभाविक है कि चर्चा पर मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों का असर पड़ेगा। लेकिन हमें इस पर काम करना चाहिए कि कैसे इन तनावों को दूर किया जा सकता है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

भारत में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि ग्लोबल गवर्नेंस (वैश्विक शासन) पूरी तरह फेल हो चुका है। इस वक्त पूरी दुनिया में विभाजन और मतभेद का दौर चल रहा है। इसके अलावा हम सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि बहुपक्षवाद आज संकट में है। मोदी ने बैठक से बेहतर परिणाम निकलने की भी उम्मीद जताई।

वर्तमान में दुनिया में बहुपक्षवाद पर व्याप्त संकट के मद्देनजर पीएम मोदी ने दो मुख्य कारकों की तरफ संकेत किया जिन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वैश्विक शासन के ढांचे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि इनमें पहला था प्रतिस्पर्धी हितों को संतुलित करके भविष्य के युद्धों को रोकना जबकि दूसरा सामान्य हित के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए था। मोदी ने कहा वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्धों के पिछले कुछ वर्षों के अनुभव से साफ है कि वैश्विक शासन अपने दोनों जनादेशों में विफल रहा है।

उन्होंने कहा कि इस नाकामी के दुखदायी परिणामों को लगभग सभी विकासशील देशों को भुगतना पड़ रहा है। दुनिया वर्षों की प्रगति के बाद सतत विकास के चौपट हो जाने की कगार पर है। अनेक विकासशील देश अपने लोगों के लिये खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन ऐसे कर्जों से भी जूझ रहे हैं जिन्हें चुकाना कठिन हो गया है। ये विकासशील देश ही हैं, जो अमीर देशों के कारण होने वाली ग्लोबल वार्मिंग से सबसे अधिक पीड़ित हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी समूह अपने निर्णयों से सर्वाधिक प्रभावित लोगों की बात सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बैठक गहरे वैश्विक विघटन के समय हो रही है और विदेश मंत्री होने के नाते सबके लिये यह स्वाभाविक है कि चर्चा पर मौजूदा भू-राजनीतिक तनावों का असर पड़ेगा। लेकिन हमें इस पर काम करना चाहिए कि कैसे इन तनावों को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया प्रगति, विकास, आर्थिक समायोजन, आपदा प्रतिरोधी क्षमता, वित्तीय स्थिरता, सीमापार अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने के लिये जी-20 की तरफ देख रही है।

उन्होंने कहा कि हम जिन मुद्दों को हल नहीं कर सकते, उन्हें उन मामलों के आड़े नहीं आने देने चाहिए, जिनका समाधान हम निकाल सकते हैं। यह बैठक गांधी और बुद्ध की धरती पर हो रही है। ऐसे में सभी भारत की सभ्यतामूलक चेतना से प्रेरणा ग्रहण करते हुये उन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें जो हम सबको एकजुट करते हैं, न कि हमारे बीच विभाजन पैदा करते हों। विकास व दक्षता में सही संतुलन कायम करने और प्रतिरोध-क्षमता हासिल करने में जी-20 में की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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