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एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिका के राजदूत बनने से बस एक कदम दूर

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध इस वक्त अहम मोड़ पर है। पूर्णकालिक दूत की अनुपस्थिति का नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। क्योंकि राजदूत गंभीर मुद्दों पर दोनों देशों के बीच एक सेतु का काम करता है। ऐसे में गार्सेटी की पुष्टि होना जरूरी है।

एरिक गार्सेटी

एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिका के राजदूत बनने के लिए एक अहम पड़ाव को पार कर लिया है। लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर गार्सेटी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनवरी में फिर से भारत में अमेरिकी राजदूत नामित किया था। अब सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने 13-8 मतों से उसे मंजूरी दे दी है। अब उनका नामांकन पूर्ण वोट के लिए सीनेट फ्लोर पर जाएगा।

गार्सेटी के पक्ष में डेमोक्रेट्स ही नहीं बल्कि टोड यंग और बिल हैगर्टीनाम नाम के दो रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी मतदान किया। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि सीनेट की इस कार्यवाही की हम दिल से सराहना करते हैं। अमेरिका को भारत में एक राजदूत की आवश्यकता है। हालांकि हमारी टीम ने राजदूत की अनुपस्थिति में असाधारण काम किया है।

जनवरी 2021 में केनेथ जस्टर की भारत में राजदूत पद से विदाई के बाद अमेरिका वहां पर छह अंतरिम दूत नियुक्त कर चुका है। वर्तमान में एलिजाबेथ जोन्स दिल्ली में अमेरिकी दूतावास में चार्ज डी'एफेयर एड अंतरिम के रूप में सेवाएं दे रही हैं।

गार्सेटी ने जो बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान में अहम भूमिका निभाई थी। (फाइल फोटो)

सीनेट के फ्लोर पर गार्सेटी के नामांकन की पुष्टि में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि नवंबर के मध्यावधि चुनाव के बाद सीनेट में डेमोक्रेट्स की हिस्सेदारी बढ़ गई है। राष्ट्रपति बाइडेन जनवरी से पहले पहले जुलाई 2021 में पदभार संभालने के कुछ महीने बाद ही गार्सेटी के नाम पर मुहर लगा चुके हैं। हालांकि उस वक्त गार्सेटी यौन उत्पीड़न से जुड़े एक विवाद में घिरे थे। इस कारण यूएस सीनेट से उनके नाम को मंजूरी नहीं मिली थी।

मालूम हो कि गार्सेटी ने जो बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान में अहम भूमिका निभाई थी। अभी भी वह बाइडेन के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सहयोगियों में से एक हैं। एक समय उन्हें राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल के संभावित सदस्य के रूप में देखा जाता था। हालांकि विवाद के चलते वह इस पद से दूर हो गए।

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध इस वक्त अहम मोड़ पर है। कहा जा रहा है कि पूर्णकालिक राजदूत की अनुपस्थिति का इस पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है क्योंकि राजदूत गंभीर मसलों पर दोनों देशों के बीच सेतु का काम करता है। आमतौर पर राजदूत की अनुपस्थिति को संबंधों में गिरावट के रूप में देखा जाता है।

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