ट्विटर की पूर्व मुख्य कानूनी अधिकारी विजया गड्डे ने स्वीकार किया है कि जब कंपनी ने हंटर बाइडन स्टोरी को रोकने का फैसला पलट दिया था तो उसे न्यूयॉर्क पोस्ट के खाते को तुरंत बहाल कर देना चाहिए था। भारतीय अमेरिकी गड्डे ट्विटर के उन तीन अधिकारियों में शामिल थीं, जिनकी जीओपी की अगुवाई वाली हाउस ओवरसाइट कमेटी के सामने 8 फरवरी को गवाही थी। वर्ष 2020 में राष्ट्रपति बाइडन के बेटे हंटर के लैपटॉप से कुछ सामग्री लीक हुई थी और कहा गया था कि उन खबरों को ट्विटर ने दबाया था। इसी मामले में जीओपी पड़ताल कर रही है।
Todays @GOPoversight hearing puts @twitter execs in the hot seat. Twitter has basically been a subsidiary of the FBI and other government agencies who successfully censored voices they disagreed with. Just cause. pic.twitter.com/KtTMzFHf0w
— Rep. Nancy Mace (@RepNancyMace) February 8, 2023
जेम्स कॉमर के नेतृत्व वाले पैनल के सामने अपने अपने शुरुआती बयान में गड्डे ने कहा कि ट्विटर ने पोस्ट के 2020 लेख वाले ट्वीट्स को ब्लॉक कर दिया था जो 2018 की नीति पर आधारित थे और जिसे कंपनी ने प्लेटफॉर्म को 'हैक की गई सामग्री के लिए डंपिंग ग्राउंड बनने से रोकने के उद्देश्य से लागू किया था।' तीनों अधिकारियों मे अपनी गवाही में कहा कि स्टोरी को रोकने वाले फैसले में सरकार की कोई भूमिका नहीं थी हालांकि एलन मस्क ने पहले सरकारी सेंसरशिप की बात कही थी।
पिछले साले जब एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदा था तो आते ही गड्डे और बेकर को बाहर का रास्ता दिखा दिया था जबकि रोथ ने इस्तीफा दे दिया था। ट्विटर का सीईओ बनते ही मस्क ने ब्लॉकिंग मामले को लेकर गड्डे की आलोचना की थी और इसे खुले तौर पर अविश्वसनीय और अनुचित बताया था। मस्क ने गड्डे और कंपनी की मॉडरेशन नीतियों की आलोचना करते हुए एक मीम भी पोस्ट किया था।
विजया ट्विटर में वर्ष 2011 से काम कर रही थीं। गड्डे कंपनी की सुरक्षा, जन नीतियों और वैधानिक मामले देखने वाली प्रमुख कार्यकारी अधिकारी थीं। अपने कुछ फैसलों के कारण वे सुर्खियों में रही हैं। उनका ऐसा ही एक फैसला था सोशल प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों को बंद करना। 2020 में जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे थे गड्डे ने तब यह फैसला लिया था।
न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार जनवरी 2021 में कैपिटोल दंगों के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प के खाते को स्थायी तौर पर निलंबित कर दिया गया था। कहते हैं कि इस निलंबन के पीछे मूल रूप से गड्डे ही थीं। अपने इस फैसले के चलते कंपनी में तो उनकी तारीफ हुई मगर वह दक्षिणपंथी आलोचकों के निशाने पर आ गई थीं।