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प्रधानमंत्री मोदी ने नवरात्र पर किसके लिए की देवी चंद्रघंटा से प्रार्थना

प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने मां चंद्रघंटा से देशवासियों के यश और कीर्ति में निरंतर वृद्धि का आशीर्वाद भी मांगा है। उन्होंने देवी की स्तुति का पाठ भी साझा किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक्स (X) पर पोस्ट भी किया।

फोटो X: @smvdsbkatra

भारत में उत्सव व पर्व शुरू हो चुके हैं। इसी कड़ी में देश में नवरात्र की पूजाएं चल रही हैं। इस शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसी अवसर पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ देवियों में से एक मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की और देशवासियों के हित में प्रार्था की और उनके लिए देवी मां से आशीर्वाद भी मांगा। प्रधानमंत्री ने देवी विशेष की पूजा क्यों की और इन देवियों की पूजा या अराधना करने का क्या फल है, यह हम आज आपको बताने जा रहे है। साथ ही शारदीय नवरात्र की विशेषताओं से भी अवगत कराया जाएगा।

पहले शारदीय नवरात्र के अवसपर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज मंगलवार को देवी चंद्रघंटा से प्रार्थना की बात कर लें। प्रधामंत्री ने मां चंद्रघंटा से देशवासियों के यश और कीर्ति में निरंतर वृद्धि का आशीर्वाद भी मांगा है। उन्होंने देवी की स्तुति का पाठ भी साझा किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक्स (X) पर पोस्ट किया, ‘साहस और शौर्य की प्रतीक मां चंद्रघंटा को बारंबार प्रणाम! मां के आशीर्वाद से देशवासियों के यश और कीर्ति में निरंतर वृद्धि हो, यही कामना है।’ आपको बता दें कि हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र के समय को बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा-पाठ और व्रत आदि करते हैं।

भारतीय पंचांग या कहें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष भर में चार नवरात्र आते हैं, जिनमें से दो गुप्त माने जाते हैं और इन्हें तंत्र-मंत्र की अराधना के लिए माना जाता है। दो अन्य नवरात्र आम जन से जुड़े हैं और भारत के बड़े धार्मिक पर्व हैं। इनमें पहली नवरात्र चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) के नवरात्र, जिसे चैत्र नवरात्र भी कहा जाता है। दूसरी नवरात्रि आश्विन मास (अक्तूबर-नवंबर) में पड़ती है जिन्हें शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। विशेष बात यह है कि ये दोनों नवरात्र भगवान राम से भी जुड़े हुए हैं और माना जाता है कि चैत्र नवरात्र में भगवान राम के जन्म का उत्सव मनाया जाता है, जबकि आजकल चल रहे नवरात्र में भगवान राम ने रावण व लंका पर विजय प्राप्त की, जिसके बाद भारत में दीपावली का आयोजन किया गया, जो आज भी जारी है।

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नवरात्र के अवसर पर मंदिरों को भव्य रूप से सजाने की परंपरा रहीं है। फोटो: सोशल मीडिया

आज हम आपको नवरात्र के अवसर पर मां दुर्गा के नौ रूपों की जानकारी दे रहें हैं और बताते हैं कि किस दिन मां के किस रूप की पूजा की जाती है और वह रूप किस विशेषता का द्योतक है और उसकी पूजा विधान से क्या प्राप्त होता है। 

पहला दिन, मां शैलपुत्री

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर देवी दुर्गा का आव्हान किया जाता है। इस दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है देवी शैलपुत्री की पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। जातक के मूलाधार चक्र जाग्रत होते हैं। सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। चंद्र संबंधी दोष खत्म होते हैं।

दूसरा दिन, मां ब्रह्मचारिणी

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से तप, त्याग और शक्ति की भावना में वृद्धि होती है। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता और सफलता प्राप्त करता है। आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है।

तीसरा दिन, मां चंद्रघंटा 

देवी चंद्रघंटा साहस और पराक्रम का प्रतीक मानी जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा से भक्त के कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता प्राप्त होती है। क्रोध पर काबू बाने की शक्ति मिलती है। जिन लोगों की तरक्की में शत्रु बाधा बन रहे हैं उन्हें मां चंद्रघंटा की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस रूप को साहस व शौर्य का प्रतीक भी माना जाता है। 

चौथा दिन, मां कूष्मांडा

मां कुष्मांडा ने अपने उदर से ही इस ब्रह्मांड को उत्पन्न किया है। जो अक्सर ही किसी ना किसी दुख, विपदा और कष्टों से घिरे रहते हैं, उन्हें चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। इससे सुख-समृद्धि प्राप्त होगी। 

पांचवां दिन, मां स्कंदमाता 

संतान प्राप्ति की कामना कर रहे लोगों को स्कंदमाता देवी के पूजा जरूर करनी चाहिए। मां स्कंदमाता कार्तिकेय की माता मानी गई हैं। मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद जल्द भर जाती है। संतान की तरक्की और उसे संकटों से बचाने के लिए देवी स्कंदमाता की पूजा श्रेष्ठ मानी गई है। 

छठा दिन, मां कात्यायिनी

ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी मामलों के लिए अचूक मानी गई है। नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की उपासना करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं, सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है। 

सातवां दिन, मां कालरात्रि

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से वह बहुत प्रसन्न होती है और रोग, शोक, शत्रु, भय, और आकस्मिक घटनाओं से साधक की रक्षा करती हैं। मां कालरात्रि नकारात्मक ऊर्जा, बड़ी से बड़ी विपदा को नाश करने की शक्ति रखती हैं।

आठवां दिन, मां महागौरी 

ज्योतिष में मां महागौरी का संबंध शुक्र ग्रह से है। इनकी अराधना से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही इस दिन कन्या भोजन कराने से घर में धन-धान्य के भंडार भरे रहते हैं। पति-पत्नी के बीच तनातनी चल रही है तो इस दिन मां महागौरी की पूजा करें। इस दिन कुलदेवी का पूजन होता है। 

नवां दिन, मां सिद्धिदात्री 

नवरात्रि का आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है, जो सभी कार्यों को सिद्ध करती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्त होती इसके साथ 8 दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त होती है। ये अष्टसिद्धियां हनुमान जी को प्राप्त हैं। इस दिन कन्या पूजन, हवन कर नवरात्रि का समापन होता है।

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