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लचवानी के खिलाफ ज्यूरी ट्रायल 22 मई से, निवेशकों से बड़े फ्रॉड का आरोप

लचवानी को न्याय विभाग और प्रतिभूति तथा विनिमय आयोग ने आरोपी बनाया है। उसे अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया था और उस समय उसने दोनों आरोपों में खुद को निर्दोष बताया था।

Photo by Jon Tyson / Unsplash

हेडस्पिन के पूर्व सीईओ मनीष लचवानी पर कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 22 मई से ज्यूरी ट्रायल शुरू होने वाला है। लचवानी पर आरोप है कि उसने निवेशकों से कम से कम 80 मिलियन डॉलर ऐंठने के लिए अपनी कंपनी के मूल्य को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। मुकदमे की अध्यक्षता न्यायाधीश चार्ल्स ब्रेयर करेंगे। ब्रेयर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश स्टीफन ब्रेयर के भाई हैं, जो पिछले साल सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी जगह न्यायमूर्ति केतनजी ब्राउन जैक्सन ने ली थी।

इस मामले के लिए जूरी चयन 19 मई से शुरू होने वाला है। ब्रेयर के कोर्ट कैलेंडर के अनुसार ट्रायल कम से कम 9 दिनों तक चलने की उम्मीद है। लचवानी पर वायर फ्रॉड के एक मामले और सिक्योरिटीज फ्रॉड के एक मामले का आरोप है। हरेक मामले में अधिकतम 20 साल की सजा हो सकती है। वायर फ्रॉड के आरोप में 250,000 डॉलर और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोप में 5000 डॉलर का जुर्माना किया जा सकता है। हर्जाना भी देना पड़ सकता है।

आरोपी मनीष लचवानी।

लचवानी को न्याय विभाग और प्रतिभूति तथा विनिमय आयोग ने आरोपी बनाया है। उसे अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया था और उस समय उसने दोनों आरोपों में खुद को निर्दोष बताया था। लचवानी ने याचिका समझौते का रुख नहीं किया है। सनीवेल, कैलिफोर्निया स्थित हेडस्पिन दुनिया में कहीं से भी मोबाइल ऐप के परफॉर्मेंस का पता लगाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करता है।

पता चला है कि टी-मोबाइल, फ्लिपकार्ट, ग्लोबो और नेडबैंक जैसी कंपनियां मैन्युअल और स्वचालित परीक्षण करने के लिए हेडस्पिन का उपयोग करती हैं और 100 से अधिक प्रमुख प्रदर्शन संकेतक एकत्र करती हैं जैसे लॉन्च की संख्या, एप्लिकेशन उपयोग की अवधि, डाउनलोड की संख्या, सक्रिय उपयोगकर्ता और प्रभाव समय इत्यादि।

लचवानी ने 2015 से 2020 तक ब्रायन कोलवेल के साथ स्थापित की गई कंपनी का संचालन किया और चार दौर की फंडिंग की। आरोप है कि 2019 से 2020 तक कंपनी की सीरीज सी फंडिंग राउंड के दौरान लचवानी ने निवेशकों के लिए सामग्री और प्रस्तुतियों में हेडस्पिन के मूल्य को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। यही नहीं लचवानी ने अपने लाभ के लिए निवेशकों को कंपनी से जुड़ी और भी गलत जानकारियां दीं।

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