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सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों ने किया प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने कहा दिल्ली के हर क्षेत्र  में पड़ी हजारों लाशों को उठाने के वास्ते सफाई कर्मचारियों की कूड़े वाली और सब्जी बेचने  वालों की रिक्शा के द्वारा बड़े जालिम व भयानक तरीके से इंसानी लाशों को ट्रकों में ठूंस दिया, फिर लाशों को अरावली की पहाड़ियों में ले जाकर जला दिया गया।

दंगा पीड़ितों का जंतर मंतर पर धरना- प्रदर्शन। सभी फोटो: NIA

वर्ष 1984 में सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों व सिख संगठनों ने मंगलवार को नई दिल्ली के प्रमुख प्रदर्शन स्थल जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और तत्कालीन सरकार व दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि मारे गए सिखों के शवों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और उनके धार्मिक रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया। उनका यह भी आरोप है कि शासन ने वर्ष 1984 से ही हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पर श्री गुरु नानक देव महाराज का पुरातन ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गिआन गोदड़ी साहिब मलियामेट करके जबरन कब्जा कर रखा है। 

इस प्रदर्शन का नेतृत्व ऑल इंडिया सिख कॉन्फ्रेंस बब्बर ने किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया सिख कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने कहा है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार और दिल्ली पुलिस ने मिलकर नवंबर 1984 में निर्दोष सिखों की लाशों को बड़े अमानवीय तरीके से पेट्रोल डीजल और केमिकल डालकर कर बिना सिख धार्मिक मर्यादा के फूंक दिया था। न एफआईआर लिखी, न पोस्टमार्टम करवाया, न शवों को उनके परिजनों को सौंपा, जिसके उनके पास पुख्ता प्रमाण हैं।

प्रदर्शन में सिख विरोधी दंगों में मारे गए सिखों की विधवाओं ने भी शिरकत की।

प्रदर्शन में शामिल ऑल इंडिया सिख कॉन्फ्रेंस बब्बर के नेताओं अध्यक्ष गुरचरन सिंह बब्बर के अलावा दर्शन कौर, जसबीर कौर, हरजस कौर, हरबंस कौर, जत्थेदार अवतार सिंह, गुरमीत सिंह आदि ने आरोप लगाया कि एक से चार नवंबर 1984 को दिल्ली में मारे गए हजारों  निर्दोष सिखों की लाशें  दिल्ली के हर क्षेत्र में पड़ी थी, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने केंद्र  की कांग्रेस सरकार के साथ मिलकर बड़े भयानक तरीके से ट्रकों में भरवाकर दिल्ली के आसपास अरावली की पहाड़ियों में ले जाकर बिना सिख धार्मिक मर्यादा और अंतिम क्रियाक्रम के फूंक दिया था। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने मारे गए सिखों की लाशों को किसी भी मुर्दाघर में नहीं रखा। मारे गए हजारों सिखों की  एफआईआर (FIR) नहीं लिखी गई। मारे गए सिखों का कोई पंचनामा नहीं बनाया और न ही मारे गए सिखों के फोटो नहीं खींचे गए। उनका यह भी आरोप है कि मारे गए सिखों का अखबारों में कोई  विज्ञापन नहीं छपवाया गया। मारे गए सिखों के घर वालों का इंतजार नहीं किया। दिल्ली के श्मशान घाटों पर सिखों की लाशों का अंतिम संस्कार नहीं किया गया । न ही मारे गए सिखों के अंतिम क्रियाक्रम के लिए गुरुद्वारा साहिब से हैड ग्रंथी साहब को बुलाया गया। 

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है।

ऑल इंडिया सिख कॉन्फ्रेंस बब्बर के नेताओं ने कहा दिल्ली के हर क्षेत्र  में पड़ी हजारों लाशों को उठाने के वास्ते सफाई कर्मचारियों की कूड़े वाली और सब्जी बेचने  वालों की रिक्शा के द्वारा बड़े जालिम व भयानक तरीके से इंसानी लाशों को ट्रकों में जानवरों की तरह खींच खींच कर ठूंस दिया, फिर सिखों की लाशों से भरे ट्रकों को अरावली की पहाड़ियों में ले जाकर लाशों के ऊपर पेट्रोल, डीजल और केमिकल डालकर जला दिया और इंसानी अस्थियों को सैकड़ों किलोमीटर में फैली अरावली की पहाड़ियों में फेंक दिया गया। यह बड़े ही दुख की बात है कि दंगाई तो सिखों को मारकर भाग गए, लेकिन उसके बाद उन सिखों के शवों से गंभीर बेअदबी की गई, जिसकी मिसाल दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं मिलती। नेताओं ने जानकारी दी कि नवंबर 1984 में हरिद्वार हरि की पौड़ी पर श्री गुरु नानक देव महाराज जी की पहली उदासी का सबसे पुरातन ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गिआन गोदड़ी साहिब को मटियामेट करके गुरुद्वारा साहिब को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया और वहां पर जबरन सरकारी कब्जा किया हुआ है। उन्हें इस स्थल को वापस सिख कौम को देने की मांग की है।

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