भारत की वाणिज्य राजधानी मुम्बई की पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर घोटाले का भंडाफोड़ किया है। पुलिस के अनुसार एक घर में चल रहे इस फर्जीवाड़े के सिलसिले में करीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 60 वर्कस्टेशन को कब्जे में लिया गया है।
पुलिस अधिकारियों ने कंप्यूटरों की फोरेंसिक जांच शुरू कर दी है और खुलासा किया है कि युवा कर्मचारियों को ऑस्ट्रेलिया के बैंक ग्राहकों से कॉल रिसीव करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। मुंबई के पुलिस अधिकारी सुहास बावचे ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि इन फर्जी कॉल सेंटर के कर्मचारियों ने कथित तौर पर संवेदनशील व्यक्तिगत विवरण और सुरक्षा जानकारी निकाली है।
पता चला है कि जो जानकारी निकाली गई उसमें ग्राहकों के वन-टाइम पासवर्ड शामिल थे और फिर गोरखधंधा करने वालों ने ईमेल पर उन पासवर्ड की जानकारी प्रबंधकों को पहुंचाई। बावचे ने बताया कि यह मामला एक महाघोटाले का एक छोटा हिस्सा हो सकता है। हम जांच के जरिये इस रैकेट की अंतरराष्ट्रीय कड़ियां तलाशने में जुटे हैं। एक जगह से कुछ महीनों के लिए चलने वाले इस तरह के कॉल सेंटरों का देशभर में लगातार भंडाफोड़ किया जा रहा है।
मुम्बई पुलिस का कहना है कि उसे दाल में काला होने की आशंका इस बात से हुई कि कॉल सेंटर की ओर से बहुत सारे लोगों के लिए लगातार नाश्ता मंगाया जा रहा था और वह भी तड़के 4 बजे के आसपास। यह जानकारी कॉल ट्रेस करने पर हुई। रिपोर्ट के अनुसार इस कॉल सेंटर में करीब 50 लोग काम कर रहे थे और उन्हे 'दफ्तर' से बाहर जाने की मनाही थी। ऐसा इसलिए ताकि वे बाहर के लोगों से संपर्क न कर सकें। पुलिस को तब शक हुआ जब पता चला कि उस ठिकाने के पास की एक दुकान से लगातार कई सारे लोगों के हिसाब से नाश्ते का ऑर्डर किया जाता था।
पुलिस ने बताया कि बीच रिजॉर्ट सप्ताह के अंतिम दिनों तो पर्यटकों से भरा रहता है लेकिन अन्य दिनों में वीरान रहा करता था। ऐसे में किसी एक जगह से सुबह-सवेरे 50 से 60 चाय और नाश्ते का इंतजाम संदेह पैदा करने वाला था। लिहाजा हमने गुप्त रूप से उस ठिकाने पर नजर रखना शुरू कर दिया। कुछ और जानकारी मिलने के बाद हमने छापा मारकर फर्जी कॉल सेंटर के मालिक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है।
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