एरिक गार्सेटी भारत में अमेरिकी राजदूत बनने से चंद कदमों की दूरी पर हैं। पिछले हफ्ते सीनेट के विदेश मामलों की समिति ने 13-8 मतों से उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी। अब बस उन्हें सीनेट फ्लोर पर पूर्ण वोट का सामना करना है। लेकिन कुछ दिनों से उनका एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसके बाद गार्सेटी और बाइडेन प्रशासन की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की जा रही है।
इस वीडियो में गार्सेटी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सदस्य मैरीलैंड के डेमोक्रेट सीनेटर बेन कार्डिन के सामने अपनी पुष्टि के दौरान कथित रूप से यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि वह भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के अलावा मानवाधिकारों और भेदभाव से जुड़े मुद्दे उठाने का दायित्व निभाएंगे।
बता दें कि यह वीडियो साल 2021 का बताया जा रहा है। इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर गार्सेटी और बाइडेन प्रशासन की जमकर आलोचना की जा रही है। वीडियो में गार्सेटी कथित रूप से कह रहे हैं कि उन्हें भारत में मानवाधिकारों के लिए सक्रिय रूप से लड़ाई लड़ रहे ग्रुपों से सीधे जुड़ने का मौका मिलेगा। हम जानते हैं कि लोकतंत्र जटिल है और हमें अपनी ओर भी देखना चाहिए लेकिन यह हमारे साझा मूल्यों की आधारशिला है।
भारतीय अमेरिकी संगठन हिंदूपैक्ट ने समर्थकों से कहा है कि वह अपने सीनेटर के नॉमिनेशन को रिजेक्ट करने की मांग करें। संगठन ने लिखा कि जहां एक तरफ भारत और अमेरिका क्वाड के माध्यम से चीन को रोकने के लिए साथ आ रहे हैं, वहीं एरिक का अनुशासनहीन और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का रवैया बहुसंख्यक भारतीयों को अलग-थलग कर देगा और अमेरिका-भारत संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।
एरिक गार्सेटी की नियुक्ति को लेकर भारत में एक चर्चा यह भी है कि साल 2024 में भारत में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में भारत में नरेंद्र मोदी के समर्थक गार्सेटी की आंदोलनकारियों के साथ सीधे जुड़ने की बात को मोदी विरोधी एजेंडे की तरह देख रहे हैं। नरेद्र मोदी की पार्टी के एक नेता ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि 2024 का युद्ध तैयार है, Wait & Watch।
इसके अलावा एरिक गार्सेटी पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप की भी सोशल मीडिया पर चर्चा गरम हो गई है। दरअसल इसी आरोप की वजह से गार्सेटी के नाम को पहले मंजूरी नहीं मिल सकी थी। राष्ट्रपति बाइडेन ने पहले जुलाई 2021 में गार्सेटी के नाम पर मुहर लगाई थी लेकिन यौन उत्पीड़न से जुड़े विवाद की वजह से यूएस सीनेट से उनके नाम को मंजूरी नहीं मिली थी। उसके बाद बाइडेन ने दोबारा से उनके नाम को आगे बढ़ाया।