पिछले 16 महीनों से अफगानिस्तान में तालिबान अपने आप से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। वह हर उस काम को कर रहा है जिससे वह अफगानियों के जीवन को बदतर बना सके और उन पर शासन कर सके। इस अभागे राष्ट्र के नागरिक तालिबान शासन से चांद या दुनिया की कोई लग्जरी नहीं बल्कि केवल मूलभूत चीजों की मांग कर रहे हैं जिनमें शिक्षा का अधिकार भी एक है।
देश पर इस्लामिक कानून थोपने के बहाने तालिबान ने लड़कियों के लिए स्कूलों के दरवाजे बंद कर दिए हैं। हाल ही में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी महिलाओं की एंट्री पर ताला लगा दिया गया है। उच्च शिक्षा के संस्थानों में पढ़ाई के अंतिम सेमेस्टर में ऐसी रोक लगाना इन युवतियों के सपनों को तोड़ने वाला और वास्तव में दयनीय है। एक झटके में तालिबान ने फरमान सुना दिया है कि महिलाएं विकास प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हो सकतीं।