डॉ. मनोज शर्मा एवं मनीष पांडेय
5 मई, 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की थी कि COVID-19 के मद्देनजर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHE) समाप्त हो गया है। इसके तुरंत बाद 11 मई, 2023 को संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सरकार ने भी इसी तरह की घोषणा की। लेकिन क्या ऐसा ही है? क्या COVID-19 खत्म हो गया है? दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है। अब भी दुनिया भर में हर महीने ऐसे लाखों मामले सामने आते हैं जिनमें हजारों लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं और हजारों की मौत हो जाती है। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया के कई हिस्सों में कोरोनो वायरस के JN.1 वेरिएंट में वृद्धि हुई है।
हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका में 44 प्रतिशत मामले इसी वेरिएंट के हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य वैज्ञानिक JN.1 और इसके मूल वेरिएंट, जिसे BA.2.86 कहा जाता है पर भी करीब से नजर रख रहे हैं। WHO का कहना है कि JN.1 का प्रसार तेजी से बढ़ा है। दिसंबर के अंत तक संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 प्रतिशत से अधिक मामलों में इसी वेरिएंट का योगदान था जबकि BA.2.86 का योगदान केवल 1.6 प्रतिशत था।
पूर्वोत्तर में तो मामले और भी अधिक हैं। यानी 57 प्रतिशत। हालांकि इसके लक्षण पिछले स्ट्रेन से ज्यादा बुरे नहीं हैं और नए COVID-19 वैक्सीन का बूस्टर कुछ प्रतिरक्षा प्रदान करता प्रतीत होता है। फिर भी कई लोगों ने अभी तक नया टीका नहीं लिया है। लोगों को वैक्सीन बूस्टर लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका पर लंबे समय से चल रहे COVID-19 जोखिम की वर्तमान स्थिति साफ तौर पर दिखाई दे रही है। हालांकि अमेरिका की आबादी में लंबे समय तक रहने वाले कोविड जोखिम का खतरा 7.5 प्रतिशत से गिरकर 6 प्रतिशत हो गया है लेकिन खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। मीडिया और अकादमिक स्वास्थ्य पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध के अनुसार इसके कारणों, रोकथाम या उपचार को समझने में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।
नियमित अंतराल पर उभरते नए वायरस वेरिएंट के खतरों के बीच लॉन्ग कोविड अभी भी एक स्वास्थ्य जोखिम के रूप में मंडरा रहा है। इसने सभी को, रोगियों, सहायता समूहों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को चकित कर दिया है, जो लंबे समय तक COVID-19 जोखिमों में अनुसंधान और रोगी देखभाल में सार्थक प्रगति की कमी से अधिक निराश हैं।
तो ऐसे में हमें और क्या करना चाहिए? एक बार फिर भीड़-भाड़ वाली जगहों पर स्वेच्छा से मास्क पहनना जरूरी हो गया है। हालांकि अभी आपात नीतियां लागू नहीं हो सकतीं लेकिन शैक्षणिक उपाय या जन-जागरूकता कार्यक्रम इस मामले में खासे मदददार साबित कर सकते हैं। शैक्षणिक कार्यक्रम मास्क पहनने के फायदों के बारे में रेखांकित कर सकते हैं। साथ ही शैक्षणिक कार्यक्रमों में मास्क पहनने से जुड़े मिथकों और संभावित नुकसानों को दूर किया जाना चाहिए। सामान्य तौर पर लोग मास्क को लेकर असुविधा की बातें करते हैं मगर इस तरह की बातों का मुकाबला अल्पकालिक असुविधा लेकिन स्वयं, परिवार और दोस्तों की सुरक्षा जैसे लाभ गिनाकर किया जा सकता है।
लोगों की सुरक्षा के लिए असुविधा जैसी बातों पर काबू पाने के संदेशों को प्रचारित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में विभिन्न प्रकार के मास्क आसानी से उपलब्ध हैं। अक्सर मास्क स्वतंत्र रूप से वितरित किए जाते हैं। ये बहुत महंगे भी नहीं हैं इसलिए व्यवहार में शामिल करना आसान है।
देखा यह भी गया है कि लोग हाथ धोने को लेकर लापरवाह हो गए हैं। संदेशों और शैक्षिक कार्यक्रमों को एक बार फिर इस महत्वपूर्ण और आसान निवारक उपाय पर ध्यान देना होगा। हाथ धोने से हाथों से रोगाणु दूर हो जाते हैं और विभिन्न माध्यमों जैसे खाद्य पदार्थ, पेय पदार्थ और निर्जीव वस्तुओं के माध्यम से उनके स्थानांतरण को रोका जा सकता है।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) हाथों की प्रभावी सफाई के लिए बहते पानी के नीचे कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से हाथों को अच्छी तरह से रगड़ने और हाथों को साफ तौलिये से सुखाने या हवा में सुखाने की सलाह देता है। इसी तरह के सामान्य उपायों से हम खुद को और अन्य लोगों को सुरक्षा दे सकते हैं।
ये तमाम सहज उपाय इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि सर्दियों की छुट्टियों के दौरान लोग सैर-सपाटे के लिहाज से घरों से निकलते हैं और उन स्थानों पर पहुंचते हैं जहां अधिक लोगों का जमावड़ा होता है। जैसे कि कोई लोकप्रिय पर्यटन स्थल इत्यादि। इसलिए मास्क पहनना, लोगों से कुछ दूरी बनाकर रखना या फिर अपने हाथ लगातार साफ करते रहना जरूरी है ताकि यात्रा सुरक्षित हो और छुट्टियां बगैर किसी मुसीबत के व्यतीत हों।
(प्रो. मनोज शर्मा नेवादा विश्वविद्यालय, लास वेगास में सामाजिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष हैं। मनीष पांडे वाशिंगटन डीसी के हावर्ड विश्वविद्यालय में फुलब्राइट प्रोफेसर और पीएच.डी. हैं)