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चार धाम यात्रा: रास्ते में बिगड़ी तबियत तो यात्रियों को ड्रोन से मिलेगी दवाई

चारधाम यात्रा से जुड़े ऊंचे इलाकों में आपातकालीन दवाएं मुहैया कराने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पहले उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में कोविड-19 टीकों के परिवहन के लिए ड्रोन का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा चुका है।

Photo by Shikhar Sharma / Unsplash

22 अप्रैल से शुरू हो रही चार धाम यात्रा के लिए भारत में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को चार धाम यात्रा पर जाने वाले भक्तों को लेकर अपनी तैयारियों को साझा किया। भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बताया कि यात्रा पर थ्री लेयर यानी तीन स्तरीय स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा तैयार की जाएगा।

भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने चार धाम यात्रा को लेकर बैठक की।

मंडाविया ने बताया कि सरकार चाम धाम यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक पुख्ता स्वास्थ्य सहायता और आपातकालीन प्रबंधन बुनियादी ढांचा तैयार करने जा रही है। लाइफ सपोर्ट और आपातकालीन परिवहन के लिए चार धाम राजमार्ग पर एंबुलेंस उपलब्ध कराने से लेकर देश भर के मेडिकल कॉलेजों के पीजी छात्रों को हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर के हिस्से के रूप में तैनात किया जाएगा।

एंबुलेंस सेवा यात्रा के विभिन्न बिंदुओं पर मुहैया कराई जाएगी। यात्रा के दौरान ऊंचे इलाकों में आपातकालीन दवाएं मुहैया कराने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। बता दे कि इससे पहले उत्तर पूर्वी क्षेत्र में कोविड-19 टीकों के परिवहन के लिए ड्रोन का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा चुका है।

केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित हैं। हाल ही में एम्स-ऋषिकेश ने दवाइयां पहुंचाने के लिए ड्रोन सेवा शुरू की है। चार धाम यात्रा के लिए एम्स ऋषिकेश, दून मेडिकल कॉलेज और श्रीनगर मेडिकल कॉलेजों के साथ एक मजबूत रेफरल बैकएंड सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है।

इसके अलावा मौसम की स्थिति के बारे में तीर्थयात्रियों को सूचित करने, स्वास्थ्य सुविधाओं, कॉल सेंटर, आपातकालीन सहायता नंबर आदि की भी जानकारी भी वेबसाइट आदि के जरिए उपलब्ध कराई जाएगी।

मंडाविया ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से भी इस सिलसिले में मुलाकात की। रावत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि चारधाम की यात्रा का कठिन मार्ग होने की वजह से तीर्थयात्रियों के सामने स्वास्थ्य से जुड़ी कई चुनौतियां आती हैं। कई तीर्थयात्रियों की मौत भी हो चुकी है। इसी को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तृत ढांचा तैयार किया जा रहा है।

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