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कनाडा विवाद: आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट, क्या कहा डोनाल्ड ने

पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका खुद आतंकवाद का दंश झेल चुका है। अमेरिका ने अपने दुश्मन नंबर वन ओसामा बिन लादेन को उसकी पनाहगाह पाकिस्तान में घुसकर मारा था।

भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में कड़वाहट अभी खत्म नहीं हुई है। सांकेतिक चित्र : NIA

आतंकवाद को लेकर भारत का रुख साफ है। लेकिन कनाडा प्रकरण में अमेरिका फिर भी भारत को साधने में जुटा है। दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के अमेरिकी सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने एक बार फिर भारत को साधने की अमेरिकी कोशिश पर खुला बयान दिया है।

अमेरिकी सहायक सचिव डोनाल्ड लू का भारत-कनाडा विवाद को लेकर कहना है कि हमने सार्वजनिक और निजी तौर पर भारत सरकार से कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है। बकौल लू हम अपने कनाडाई साझेदारों के साथ लगातार संपर्क में हैं और हमें उम्मीद है कि कनाडा की जांच आगे बढ़ेगी।

पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका खुद आतंकवाद का दंश झेल चुका है। अमेरिका ने अपने दुश्मन नंबर वन ओसामा बिन लादेन को उसकी पनाहगाह पाकिस्तान में घुसकर मारा था। ओसामा को खत्म करने के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खात्मे को लेकर अपनी प्रतिबद्धता कई बार व्यक्त की है। अमेरिका ने यह तक कहा है कि दुनिया में आतंकवाद जहां भी होगा हम उसका खात्मा वहीं जाकर करेंगे।

इस तरह की प्रतिबद्धता के बावजूद अमेरिका कनाडा-भारत विवाद में अपने सबसे निकटतम साझेदार से ऐसा काम करने को कह रहा है जो न केवल आतंकवाद को लेकर भारत की नीति के खिलाफ है बल्कि व्यावहारिक रूप से भी उचित जान नहीं पड़ता। इसलिए कि कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर जो आरोप लगाये हैं उसमें उन्होंने 'पुख्ता सुबूतों' की बात कही थी लेकिन वे सुबूत उन्होंने अभी तक उजागर नहीं किये हैं।

उन 'पुख्ता सुबूतों' की मांग कनाडा में अन्य राजनीतिक पार्टियां भी कर चुकी हैं। लेकिन सुबूत उजागर नहीं किये गये। अगर जूनियर ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाये हैं तो सुबूत भी सामने रखने होंगे। लेकिन अमेरिका ने कनाडा से सुबूत उजागर करने की बात अब तक नहीं की है।

दूसरी ओर, जब भारत ने कनाडा से अपने राजनयिक कम करने की बात कही थी तब भी अमेरिका ने भारत से आग्रह किया था कि वह इस तरह की सख्ती न दिखाये। लेकिन भारत ने अपनी राजनयिक सख्ती से एक बार साबित किया है इस पूरे प्रकरण में उसकी नीति में कोई खोट नहीं है। भारत से जांच में सहयोग करने का आग्रह करने के बजाय कनाडा से सुबूत क्यों नहीं मांगे जा रहे? यह कैसी 'नीति' है!

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